उत्तर प्रदेशराजनीति

हेट स्पीच पर चंद्रधारी सिंह का रिकॉर्ड ख़राब, प्रदेश का मुख्य न्यायाधीश बनने से नफरत फैलाने वालों का मनोबल बढ़ेगा- शाहनवाज़ आलम

साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 171 वीं कड़ी में बोले कांग्रेस नेता

लखनऊ, . चंद्रधारी सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट में जज रहते हुए अनुराग ठाकुर को ‘गोली मारो सालों को’ जैसे हिंसा उकसाने वाले मुकदमे में अपराधी मानने से इनकार कर दिया था। उनका तर्क था कि यह नारा उन्होंने मुस्कुराते हुए लगाया था इसलिए इसे धमकी और हेट स्पीच नहीं माना जाएगा। ऐसे विवादित फैसले देने वाले चंद्रधारी सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए जाने से जनता में गलत संदेश जायेगा। ऐसी स्थिति बनती जा रही है जहाँ प्रदेश की शांति व्यवस्था को न्यायपालिका से ही खतरा उत्पन्न होता दिख रहा है।

ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और बिहार सह प्रभारी शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 171 कड़ी में कहीं।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अनुराग ठाकुर मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहते हुए उन्होंने कहा था कि “चुनाव के दौरान दिए गए भाषण अलग होते हैं. अगर यही भाषण किसी और वक्त दिया होता तो ये भड़काने के लिए होता”.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि उनकी इस व्याख्या से यही निष्कर्ष निकलता है कि चुनाव के समय कोई भी नफरत और उकसाने वाली भाषा बोलेगा तो न्यायाधीश महोदय उसपर कोई कार्यवाई नहीं करेंगे।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि उत्तर प्रदेश हेट स्पीच का केंद्र बना हुआ है जिसकी अगुवाई ख़ुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा हेट स्पीच पर जारी गाइडलाइन का भी पालन प्रदेश में नहीं हो रहा है। ऐसे में हेट स्पीच को अपराध न मानने वाले मुख्य न्यायाधीश के आने के बाद प्रदेश में नफरत फैलाने वालों का मनोबल बढ़ जाएगा। जो समाज और प्रदेश के लिए बुरा साबित होगा।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इस समय उत्तर प्रदेश के जिला और हाई कोर्ट में ऐसे कई जज हैं जिनकी सांप्रदायिक भाषा वाले फैसलों और टिप्पणीयों को खुद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट फैसलों से निकालने का निर्देश दे चुका है। ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चंद्रधारी सिंह के कार्यकाल में ऐसे जजों का मनोबल भी बढ़ने का खतरा रहेगा। यह सब स्थितियां प्रदेश में शांति व्यवस्था के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।