उत्तर प्रदेशराजनीति

भाजपा समर्थक को जाँच आयोग का सदस्य बनाकर संभल की सच्चाई छुपाना चाहती है सरकार- शाहनवाज़ आलम*

 टीवी डिबेट में सरकार की वन्दना करने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी अरविंद जैन को सदस्य बनाए जाने पर उठाया सवाल
लखनऊ. कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने आरोप लगाया है कि संभल की सच्चाई  छुपाने के लिए राज्य सरकार ने अपने कार्यकर्ता को जाँच आयोग का सदस्य बना दिया है। जिससे साबित होता है कि संभल की हिंसा राज्य सरकार और भाजपा द्वारा सुनियोजित थी।
शाहनवाज़ आलम ने जारी बयान में कहा कि राज्यपाल द्वारा गठित जाँच आयोग में रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन का होना ही आयोग के गठन की पोल खोल देता है। क्योंकि अरविंद जैन टीवी डिबेट्स में रोज़ शाम को योगी सरकार के पक्ष में कुतर्क रखने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 2015 में डीजीपी पद से रिटायर होने के बाद मेरठ में कहा था कि वो भाजपा जॉइन करके 2017 का विधान सभा चुनाव लड़ेंगे। लेकिन उनको टिकट नहीं मिल पाया। जिसके बाद से ही वो योगी सरकार को खुश करने के लिए रोज़ टीवी डिबेटों में सरकार के हर गलत काम को सही बताते हैं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सरकार के सांप्रदायिक और मुस्लिम विरोधी रवैय्ये का बचाव करने वाले पर निष्पक्ष जाँच रिपोर्ट देने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
उन्होंने कहा कि जाँच आयोग को जाँच की परिधि में इन तथ्यों को लाना चाहिए था कि सर्वे की टीम के साथ पुलिस की मौजूदगी में मुस्लिम विरोधी नारे लगाती भीड़ इतनी सुबह कैसे इकट्ठा हो गयी और पुलिस ने उस हिंसक भीड़ को सर्वे की टीम के साथ जाने की इजाज़त कैसे दे दी? क्या यह सब साज़िश के तहत एसपी, एसओ, सीओ और एसडीएम के सहयोग से सुनियोजित ढंग से किया गया ?
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इन्हीं तथ्यों को छुपाने के लिए आयोग में अरविंद कुमार जैन को रखा गया है और जाँच के दायरे से पुलिस की भूमिका को बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस हिंसा में पुलिस की आपराधिक भूमिका इसी से स्पष्ट हो जा रही है कि वो यह हास्यस्पद थ्योरी गढ़ने की कोशिश कर रही है कि मस्जिद पर नियंत्रण के लिए दो गुटों की फायरिंग में लोगों की मौत हुई है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि जब ऐतिहासिक जामा मस्जिद के अंदर ऐसा कुछ भी नहीं मिला जिससे बहुसंख्यक समुदाय को उकसाया जा सके तब रणनीति के तहत एएसआई से बयान दिलवाया जा रहा है कि मस्जिद कमेटी मस्जिद में अवैध निर्माण करवाकर ढांचे में बदलवा कर रही है जिसपर उसने कमेटी के 13 लोगों के खिलाफ़ 2018 में एफआईआर दर्ज करायी थी। जबकि सच्चाई यह है कि मस्जिद का कोई गेट नहीं था और कमेटी ने लोहे का गेट लगवा दिया था। जिसे एएसआई अवैध निर्माण बताकर सरकार के पक्ष में नैरेटिव बनाने की कोशिश कर रही है।