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“मौलाना जावेद हैदर जैदी: धार्मिक स्थलों के सर्वे पर आपत्ति, इसे बताया देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब के लिए खतरा”

लखनऊ। शिया धर्मगुरु मौलाना जावेद हैदर जैदी ने धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण को लेकर अपनी कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि मस्जिदों और दरगाहों के सर्वे के आदेश देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र को प्रभावित कर सकते हैं। संभल की घटना और अजमेर दरगाह के सर्वे को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए मौलाना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की।

“सर्वे आदेश से बिगड़ रहा है माहौल”

मौलाना जैदी ने चेतावनी देते हुए कहा कि बार-बार धार्मिक स्थलों को निशाना बनाना देश में सिविल वॉर जैसी स्थिति पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा, “सर्वे के नाम पर एक खास समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। भाजपा शासित केंद्र और राज्य सरकारें इसे रोकने के लिए तुरंत कदम उठाएं, वरना इससे देश की छवि को गहरा नुकसान होगा।”

“अजमेर दरगाह भाईचारे का प्रतीक”

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का जिक्र करते हुए मौलाना जैदी ने कहा कि यह दरगाह न केवल मुस्लिम बल्कि हिंदू समुदाय के लिए भी श्रद्धा का केंद्र है। उन्होंने कहा, “अजमेर दरगाह से सदियों से एकता और भाईचारे का संदेश दिया जा रहा है। इसे राजनीतिक या सांप्रदायिक मुद्दों में घसीटना देश के हित में नहीं है।”

“क्या हर मस्जिद को मंदिर बनाना है?”
मौलाना ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा, “क्या सरकार की योजना हर मस्जिद को मंदिर में बदलने की है? देश में इतनी खाली जमीन है, नए मंदिर वहां बनाए जा सकते हैं। धार्मिक भावनाओं को भड़काना इंसानियत के खिलाफ है, और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

“देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब को बचाना जरूरी”

उन्होंने अपने बयान में सभी धर्मों का सम्मान करने और गंगा-जमुनी तहज़ीब को कायम रखने की जरूरत पर जोर दिया। मौलाना ने कहा, “ऐसी गतिविधियों को तुरंत रोकना होगा जो भारत की संस्कृति और परंपरा को नुकसान पहुंचा रही हैं। शांति और सद्भाव देश की प्राथमिकता होनी चाहिए।”

मौलाना जावेद हैदर जैदी के इस बयान ने धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण और सांप्रदायिक तनाव जैसे मुद्दों को लेकर नई बहस छेड़ दी है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।