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शीरोज़: एक उम्मीद और बदलाव का प्रतीक

कार्लस्कोगा फोक हाई स्कूल की शीरोज़ यात्रा

शीरोज़ क्या है?
शीरोज़ हैंगआउट कैफ़े एक अनूठी पहल है, जो एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए समर्पित है। यह सिर्फ एक कैफ़े नहीं है, बल्कि साहस, उम्मीद और बदलाव का प्रतीक है। शीरोज़ का उद्देश्य एसिड अटैक पीड़िताओं को आत्मनिर्भर बनाने, समाज में उनका पुनर्वास करने और उन्हें एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है।

शीरोज़, छांव फाउंडेशन के तहत संचालित, न केवल पीड़िताओं को रोजगार और प्रशिक्षण प्रदान करता है, बल्कि समाज को जागरूक करने का काम भी करता है। यहां आने वाले हर व्यक्ति को यह अनुभव होता है कि जख्मों को हरा करने की ताकत इंसान की इच्छाशक्ति और सामूहिक समर्थन में होती है।

कार्लस्कोगा फोक हाई स्कूल का शीरोज़ से जुड़ाव
स्वीडन स्थित कार्लस्कोगा फोक हाई स्कूल ने 10 साल पहले शीरोज़ के बारे में सुना और तब से अपने भारत दौरे में शीरोज़ का दौरा करना उनकी प्राथमिकता रही है। यह स्कूल उन वयस्कों के लिए है, जिन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने का दूसरा मौका चाहिए। यहां के शिक्षक और छात्र शीरोज़ की प्रेरणादायक कहानी को न केवल समझते हैं, बल्कि दूसरों तक पहुंचाने का प्रयास भी करते हैं।

इस साल, छात्रों ने शीरोज़ के अच्छे कामों में सहयोग के लिए धन जुटाने का निर्णय लिया। उन्होंने फ्ला मार्केट, लॉटरी, खेल और अन्य गतिविधियों के माध्यम से फंड रेज़ किया। छात्रों ने कार्लस्कोगा की दुकानों से भी दान एकत्र किया। यह छात्रों की मेहनत और समर्पण का परिणाम है।

शीरोज़ यात्रा का महत्व
छात्रों ने न केवल शीरोज़ के बारे में पढ़ा है, बल्कि इस बार वे इसे वास्तविक रूप में देखने और अपनी मेहनत से जुटाए गए धन को सौंपने के लिए उत्साहित हैं। यह यात्रा न केवल उन्हें सामाजिक न्याय और मानवता की भावना सिखाती है, बल्कि उन्हें यह समझने का मौका देती है कि एक छोटी सी पहल कैसे बड़े बदलाव ला सकती है।

शीरोज़ का दौरा छात्रों के लिए केवल एक शैक्षणिक अनुभव नहीं है, बल्कि यह जीवन बदलने वाला अनुभव है। यह उन्हें सिखाता है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी इंसान अपनी हिम्मत और समर्थन से आगे बढ़ सकता है।

हमारे प्रयासों की सराहना करें
हम आशा करते हैं कि समाज के सभी वर्ग इस पहल की महत्ता को समझेंगे और ऐसे प्रयासों में अपनी भूमिका निभाएंगे। शीरोज़ जैसे संगठन हमें सिखाते हैं कि जब हम साथ आते हैं, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।

शीरोज़ का संदेश: “हमारे जख्म हमारी पहचान नहीं, हमारा हौसला हमारी पहचान है।”