आगरा। मस्जिद नहर वाली के इमाम मुहम्मद इक़बाल ने आज जुमा के ख़ुतबे में नमाज़ियों से शिकायत के अंदाज़ में पूछा, कि अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने जिस क़ौम को दिन में पाँच बार वुज़ू के ज़रिये ख़ुद को पाकी अपनाने का तरीक़ा बताया और नमाज़ जैसी इबादत में अपने सामने खड़े होने की तौफ़ीक़ से नवाज़ा, उस क़ौम की पहचान आज गंदगी से हो रही है। आप मुस्लिम इलाक़ों में जाकर देखें, हर तरफ़ गंदगी ही गंदगी नज़र आएगी। इसकी क्या वजह है? असल में हमने मस्जिदों को आबाद करना छोड़ दिया है। हमारी मस्जिदें खाली हैं और हमारे बाज़ार रौनक से भरे हैं। मुस्लिम इलाक़ों में रात भर ख़ूब चहल-पहल रहती है। खाने के होटलों में भीड़ लगी रहती है। जब उठने का वक़्त हो रहा होता है, उस वक़्त हमारे नौजवान सोने की तैयारी कर रहे होते हैं। फिर दोपहर की ख़बर लाते हैं। नमाज़ों से कोई मतलब नहीं। क्या अल्लाह तआला ने सिर्फ़ जुमा फ़र्ज़ किया है? बाक़ी नमाज़ों का हिसाब कौन देगा? जब तक हमारी मस्जिदें नमाज़ियों से नहीं भरेंगी और सफ़ाई हमारी पहचान नहीं होगी, उस वक़्त तक अल्लाह की मदद नहीं आएगी। इस वक़्त हालात आपके सामने हैं। यही सब होता रहेगा। अपनी पहचान बदलें। सफ़ाई का ख़्याल रखें। अपने इलाक़ों में इस पर ज़मीनी मेहनत शुरू करें। आप ख़ुद पहल करें। अपने बच्चों की तरबियत करें। उनको पाकी और साफ़-सफ़ाई की तालीम दें। अपने घरों को और अपने इलाक़ों को साफ़ रखें। इससे आपका माहौल ख़ूबसूरत बनेगा। कौन अल्लाह का बंदा है जो आज ये फ़ैसला करे कि मैं अपने इलाक़े को साफ़-सुथरा रखने की शुरुआत करूंगा? और याद रखें, अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने जुमा की नमाज़ के साथ दिन में पाँच नमाज़ें फ़र्ज़ की हैं। अपनी-अपनी मस्जिदों को आबाद करें। मस्जिदें आबाद होंगी तो हमारा वजूद भी बाक़ी रहेगा। अल्लाह हमें इसकी तौफ़ीक़ अता फ़रमाए।