आगरा कल्चरल एसोसिएशन द्वारा मौहम्मद रफी की जन्म शताब्दी के अवसर पर जेपी सभागार में आयोजित की गई संगीत संध्या
आगरा। 70-80 के दशक में हर दिल की धड़कन मौहम्मद रफी के नगमें आज फिर गूंजे तो हर तरफ संगीत के स्वरों की महक बिखर गई। तुम मुझे यूं भुला न पाओगे… गीत ने एसहास कराया कि मौहम्मद रफी जैसे फनकार को वाकई भूला नहीं जा सकता। आगरा कल्चरल एसोसिएशन द्वारा आयोजित रफी साहब की जन्म शताब्दी के अवसर पर भव्य संगीत संध्या का आयोजन खंदारी स्थित ,यूनिवर्सिटी कैंपस के जे पी सभागर में किया गया। जिसमे मुख्य अतिथि समाजसेवी पूरन डावर, विशिष्ट अतिथि विजेंद्र रायजादा व देवेंद्र गांधी (दिल्ली), संरक्षक डॉ विकास जैन, डॉ रूपक सक्सेना, राजीव झा, सुनील अग्रवाल, कोषाध्यक्ष शिव कुमार शर्मा, महासचिव आरपी सक्सेना द्वारा माँ सरस्वती पर पुष्प अर्पित व दीप प्रज्वलन किया गया।
कार्यक्रम के संयोजक वरिष्ठ कलाकार हरीश आहूजा जी ने कहा कि रफी साहब जैसे फनकार धरती पर बिरले ही पैदा होते हैं। 100वें जन्मदिन पर उनको आगरा के बेहतरीन कलाकारों द्वारा उनके शानदार गीतों को गाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का संगीत निर्देशन अध्यक्ष सुभाष सक्सेना व संचालन महासचिव आरपी सक्सेना द्वारा किया गया। संस्था के चेयरमैन धन्वन्तरि पाराशर ने बताया कि वालीबुड के बेहतरीन कलाकार शो मैन राज कपूर साहब की भी जन्म शताब्दी है। उनको भी संस्था द्वारा श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही साथ मरहूम उस्ताद तबला बादक पद्म भूषण जाकिर हुसैन जी को भी श्रद्धांजलि दी गई।
कलाकारों में डॉ मंजरी शुक्ला ने-अभी ना जाओ छोड़ कर, हरीश आहूजा-ओ दूर के मुसाफिर,श्रीकांत -तेरी आँखों के सिवा ,प्रिंस सोलंकी-हुई शाम उनका,राजू सक्सेना-ओ दुनियां के रखवाले, अरुण साहू-छू लेने दो नाजुक होंठो को,शिवकुमार शर्मा-याद ना जाये,सीमा रानी-मेरे मितवा,देवेश अग्रवाल-क्या हुआ तेरा वादा,डॉ विकास जैन-साथी ना कोई मंजिल,अरुन माथुर-खिलौना जान कर विशाल रायजादा-कहता है
जोकर,रत्नम रायजादा-एहसान तेरा,रजत गोयल-आज मौसम बड़ा,तरंग-बजे रे मुरलिया, आरोही श्रीवास्तव एवम संगत कलाकारों में मुकेश शुक्ला, पंकज भाई, कयूम भाई ने दी।व्यवस्था में दीपक गुप्ता,आरती श्रीवास्तव, रुचिता भटनागर, रुचि शर्मा,रीनू गिरी,निधि गुप्ता,डॉ नीरज स्वरूप,नितिन जौहरी ,शैलेश सक्सेना,मुकेश शर्मा, डॉ गोविंद नारायण पांडे,भरत माथुर आदि रहे।