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शारदा यूनिवर्सिटी में किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व.चौधरी चरण सिंह की स्मृति में किसान दिवस मनाया

आगरा।  शारदा यूनिवर्सिटी के प्रांगण में किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व.चौधरी चरण सिंह की स्मृति में किसान दिवस मनाया गया जिसमें भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चौधरी ओमवीर सिंह को मुख्य अतिथि व किसान नेता  के.पी सिंह ठेनुआ(राष्ट्रीय अध्यक्ष,गांव किसान उन्नयन)सम्मानित अथिति के तौर पर आमंत्रित किया गया।

यूनिवर्सिटी के डीन प्रो.डॉ.आर.स्वामीनाथन रामामूर्थी द्वारा मुख्य,अथिति व सभी आगंतुक किसानों को स्मृति चिन्ह व प्रशस्ती पत्र देकर सम्मानित किया । कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अथिति चौधरी ओमवीर सिंह के द्वारा सरस्वती चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करा कर किसानो के मसीहा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह जी के चित्र पर फूलमाला अर्पित कर किया गया। इस किसान दिवस कार्यक्रम में उपस्थित किसान,शिक्षक शिक्षारत छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए मुख्य अथिति चौधरी ओमवीर सिंह ने भारत रत्न पूर्व प्रधान मंत्री चौधरी चरन सिंह को याद करते हुए अपने संबोधन  में कहा कि चौधरी चरण सिंह किसानों के नेता थे जिन्होंने अपना जीवन किसानों के हित में समर्पित कर दिया जिन्होंने किसानों के उत्थान के लिए अनेकों कार्य किए।

उनका कहना था,भारत कृषि प्रधान देश है। देश के विकास का रास्ता गांव से निकलता है। देश में 60 प्रतिशत से अधिक लोग कृषि पर आधारित अपना जीवन यापन करते हैं। किसान देश व समाज की रीड है। कृषि से देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है अनेको उद्योग कृषि पर निर्भर है ,किंतु आज देश का अन्नदाता किसान अनेक कठिनाइयों का सामना कर रहा है। किसान को समय से खाद,बीज, पानी, बिजली की समस्या से जूझना पड़ रहा है। किसान दिन रात मेहनत करता है किंतु उसको अपनी फसल का वाजिब मूल्य नहीं मिल पा रहा है किसान का आलू 8 से 10 रूपये किलो बिकता है जिसे व्यापारी खरीद कर उसको चिप्स के रूप में ₹800 किलो बेचता है, किसान अपनी औषधि फसल करता है बड़ी-बड़ी कंपनी कम दामों पर खरीद कर उसकी दवाइयां बनाकर मनमानी ढंग से पैसे वसूल करती हैं ऐसे ही अनेकों उदाहरण है। कार,मोटर साईकिल,अन्य उपकरण व दवाई आदि कुछ भी बनाने वाली कम्पनी अपनी चीज़ के दाम अपनी इच्छा से निर्धारित करते है,कंपनियां जो भी अपना उत्पादन करती हैं उसका मूल्य वह स्वयं निर्धारित करती हैं उस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है किन्तु किसान गेहूं,चावल, दाल, सब्जी, औषधि, तिलहन आदि जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करता है किंतु उसके उत्पाद पर मूल्य का निर्धारण करने का अधिकार नहीं है। जिसके कारण किसान आंदोलन की राह पर चल पड़ता है। किसान प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़,सूखा,ओलावृष्टि, आवारा पशुओं से फसल को होने वाले नुकसान को भी झेलना है। कभी-कभी तो किसान परेशान होकर के आत्महत्या के लिए विवश हो जाता है। चौधरी ओमवीर सिंह ने आगे कहा की जो छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं उन्हें कृषि में अपने भविष्य कोई तलाश करना चाहिए और नए-नए उपकरणों का अविष्कार कर उनका विकास करें व रासायनिक खादों की निर्भरता को कम करने के लिए जैविक खेती के लिए नए प्रयोग पर फोकस करे।


किसान नेता  केपी सिंह ठेनुआ ने खाद का प्रयोग कर अपनी फसल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया उन्होंने गाय की खेती में उपयोगिता को बताते हुए कहा कि गाय हमारी माता है जो दूध देती है तथा उसका गोबर और मूत्र हमारी खेती के लिए बहुत ही उपयोगी है। हमें फसल को कीटों से बचने के लिए रासायनिक दवाइयां को त्याग कर गोमूत्र का छिड़काव करें जिससे रासायनिक दवाइयां से मनुष्य के शरीर पर होने वालों प्रभाव व नुकसान से बच्चा जा सके जिससे किसानों का खर्चा भी बच जाएगा। उन्होंने एक अपने द्वारा बनाई हुई वीडियो का भी प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम में  पदम सिंह यादव प्रदेश उपाध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति,  शिव गणेश राणा तहसील अध्यक्ष सदर भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति व अनेक लोगों ने किसानों की समस्या एवं उनके उत्थान, कृषि उत्पादन वृद्धि के उपाय, आदि विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये।