दिल्ली

“इलाज बिल तदबीर (रेजिमेनल थेरेपी) के माध्यम से मस्कुलोस्केलेटल विकारों के लिए निवारक एवं उपचारात्मक दृष्टिकोण- हाल की पहल” पर दो दिवसीय कार्यशाला

 

चेन्नई/नई दिल्ली: क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आरआरआईयूएम), चेन्नई (एनएबीएच एवं एनएबीएल मान्यता प्राप्त), केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद, (सीसीआरयूएम), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने “इलाज बिल तदबीर (रेजिमेनल थेरेपी) के माध्यम से मस्कुलोस्केलेटल विकारों के लिए निवारक एवं उपचारात्मक दृष्टिकोण- हाल की पहल” पर दो दिवसीय कार्यशाला एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण का आयोजन चेन्नई में 23-24 दिसंबर  को किया गया।

उद्घाटन सत्र तमिल थाईवाजथु के आह्वान के साथ शुरू हुआ। डॉ. अतहर परवेज़ अंसारी, अनुसंधान अधिकारी (यूनानी) ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया।

डॉ. एन. ज़हीर अहमद, महानिदेशक, सीसीआरयूएम, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और अध्यक्षीय भाषण दिया। डॉ. के. नारायणसामी, कुलपति-तमिलनाडु, डॉ. एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी, चेन्नई, टीएन ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और मुख्य अतिथि का भाषण दिया। डॉ. आर. वेलराज, पूर्व कुलपति, अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई, टीएन और प्रोफेसर जी. सेंथिलवेल, निदेशक प्रभारी, राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे।

 

इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य सेवा और कल्याण के क्षेत्र से विशेषज्ञों, पेशेवरों और उत्साही लोगों की उपस्थिति देखी गई, इस कार्यक्रम में आरआरआईयूएम, चेन्नई में ‘मास्टर हेल्थ चेक-अप और यूनानी सेहत परामर्श’ का उद्घाटन और शुभारंभ, घरेलू स्वास्थ्य चाहने वालों के लिए यूनानी चिकित्सा और कल्याण पर्यटन केंद्र के लिए फ़्लायर का विमोचन और साथ ही आरआरआईयूएम, चेन्नई और सीआरआईयूएम, लखनऊ में इन-सिलिको लैब की स्थापना के लिए फ़्लायर का विमोचन भी किया गया। इसने हमारे देश के लिए स्वास्थ्य सेवाओं, अनुसंधान और पर्यटन में एक नए अध्याय की शुरुआत की और यह यूनानी चिकित्सा और कल्याण को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

दो दिवसीय कार्यशाला दुवारा रेजीमेनल थेरेपी के विभिन्न पहलुओं को कवर किया गया और पारंपरिक ज्ञान को समकालीन अनुसंधान के साथ जोड़े कर  मस्कुलोस्केलेटल स्वास्थ्य के लिए अभिनव समाधानों की खोज के लिए प्रयास किया गया। प्रतिभागियों को विभिन्न उपचारों की मानक संचालन प्रक्रियाओं से परिचित कराने के लिए रेजीमेनल थेरेपी की विस्तृत श्रृंखला पर व्यावहारिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। आयुष चिकित्सकों, विभिन्न संस्थानों के संकायों और छात्रों, सीसीआरयूएम के वैज्ञानिकों ने बड़े जोश और उत्साह के साथ कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम का समापन डॉ. फारूकी शाजिया परवीन, अनुसंधान अधिकारी (यू), आरआरआईयूएम, चेन्नई द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।