सांस्कृतिक कार्यक्रम और भामाशाह सम्मान से सजेगी स्वर्ण शताब्दी समारोह की संध्या
आगरा। सांस्कृति कार्यक्रम व श्रीभामासाह सम्मान से सजेगा श्रीमोतीगंज खाद्य व्यापार समिति का स्वर्ण जयन्ती समारोह। जिसमें समिति के वरिष्ठजनों संग विभिन्न व्यापारिक संगठनों व स्वास्थ के क्षेत्र में सेवा दे रहे संगठनों को सम्मानित किया जाएगा। कार्यक्रम का शुभारम्भ श्रीहरि के चरणों में पूजन कर सुंदरकाण्ड के पाठ से किया जाएगा।
यह जानकारी मोतीगंज खाद्य व्यापार समिति के कार्यालय में आयोजित आमंत्रण पत्र विमोचन में समिति के अध्यक्ष महावीर प्रसाद मंगल व महामंत्री शैलेन्द्र अग्रवाल ने दी। बताया कि बाजार परिसर में सुबह 10.30 बजे सुदरकाण्ड के पाठ के साथ भण्डारे का आयोजन किया जाएगा। इसके उपरान्त दोपहर 3 बजे से 100वां स्वर्ण शताब्दी महोत्सव का आयोजन होगा, जिसमें समिति के चार वरिष्ठजनों को स्मृति चिन्ह व शॉल पहनाकर भामाशाह के सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।
इसके साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में सेवाएं दे रही संस्थाओं में टूंडला रोड स्थित कैंसर हॉस्पीटल व अन्य संस्थाओं के स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा। आगरा में व्यापार को प्रोत्साहन के उद्देश्य के साथ विभिन्न व्यापारिक संगठन भी भाग लेंगे व सम्मानित के जाएंगे। शाम 5 बजे से सांस्कृतिक संध्या सजेगी, जिसमें वृन्दावन की मण्डली द्वारा मयूर नृत्य और महाराज व भक्तिमय कार्यक्रम का आनन्द लेंगे श्रद्धालु।
इस अवसर पर मुख्य रूप से संरक्षक रमन लाल गोयल, लक्ष्मी नारायण अग्रवाल, अशोक बंसल, डॉ. संत कुमार मंगल, राकेश खंडेलवाल, उपाध्यक्ष श्रीनाथ बंसल, कृष्ण कुमार मित्तल, कोषाध्यक्ष मयंक मंगल, उपमंत्री अखिलेश गोयल, मोहित गर्ग, संजीव सिंघल, प्रमोद कुमार गुप्ता, रविन्द्र कुमार गुप्ता, सुभाषचंद गुप्ता, डॉ. एसपी सिंह, पवन कुमार गोयल आदि उपस्थित थे।
लगभग 500 वर्ष प्राचीन है मोतीगंज बाजार
आगरा। पूर्व अध्यक्ष रमन लाल गोयल ने बताया कि मुगलों के स्थापित मोतीगंज बाजार का इतिहास लगभग 500 वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि बादशाह अकबर के नौ रत्नों में राजा टोडरमल का महल भी अभी तक मौजूद है। औरंगजेब द्वारा शाहजहां को यहां बंदी बना कर रखा गया था। आखिरी मुगल शासक दाराशिकोह की लाइब्रेरी भी रही यह महल। अंग्रेजों के शासन में विसरॉय सिम सैम के नाम से इस बाजार का नाम सिमसैन गंज (1887 में) रख दिया गया।
यमुना नदी के पास होने के कारण यहां नावों से व्यापार हुआ करता था। आजादी की लड़ाई की आवाज यहीं से बुलंद की गई थी। गोलीकांड में काजीपाड़ के एक व्यक्ति वीरगति को भी प्राप्त हुए। अंग्रेजों के शासन में ही इसको चुंगी का दर्जा दिया गया। सिमसैम गंज के बाद इस बाजार का नाम नया गंज रखा गया। इसके बाद मोतीगंज बाजार हो गया। 1924 में कमेटी का गठन किया गया। आज बाजार कमेटी को 100 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं, जिसका उत्सव समस्त बाजार मना रहा है।