आगरा | मस्जिद नहर वाली के इमाम मुहम्मद इक़बाल ने आज जुमा के ख़ुत्बे में नमाज़ियों को बताया कि इस कायनात में कौन सबसे बड़ा है। उन्होंने कहा कि जब मुअज़्ज़िन ऊँची आवाज़ से पुकारता है “अल्लाहु अकबर” यानी अल्लाह सबसे बड़ा है। एक दिन में अज़ान और नमाज़ मिलाकर पाँचों नमाज़ों के वक़्त अल्लाहु अकबर का यह कलिमा रोज़ाना लगभग तीन सौ बार कहा जाता है। और इसी तरह पूरी दुनिया में यह अमल दोहराया जाता है। यही इस कायनात की सबसे बड़ी सच्चाई है, जिसको हम सब मानते भी हैं और यह एक हक़ीक़त है, इस पर हमारा ईमान भी है। फिर क्या वजह है कि मुस्लिम क़ौम की बड़ी तादाद इसको “प्रैक्टिकल” में प्रूफ़ नहीं कर पाती। काबा के रब की क़सम है अगर क़ौम इसको प्रैक्टिकल में प्रूफ़ करे, तो हमारी मस्जिदें आबाद हो जाएं और हर नमाज़ में जुमा की नमाज़ का नज़ारा देखने को मिले। और जुमा की नमाज़ ईद की नमाज़ लगने लगे। क्या आपको यह सब सुनकर अच्छा लगा? तो फिर किसका इंतज़ार कर रहे हैं? दिन में पाँच बार आपको दावतनामा दिया जा रहा है, और हमने अपने दोनों कान ख़ुद अपने हाथों से बंद कर रखे हैं। सुनने और जानने के बावजूद हम अनजान बने हुए हैं। वह वक़्त कभी भी आ सकता है जब लोग “हमारी नमाज़” पढ़ रहे होंगे, जिसकी न अज़ान होगी और न इक़ामत। ये भी दुनिया की वो हक़ीक़त है कि हम सब इसको भी जानते हैं, लेकिन सिर्फ़ जानने से मसला हल नहीं हो रहा है। हमको जानने और मानने के साथ इसका प्रूफ़ भी देना होगा। अगर हम ऐसा नहीं करते, तो फिर ख़ुद को “मुनाफ़िक़” लिखकर रख लें। अभी वक़्त है “जाग” जाएं और आज से ही इस पर अपना क़दम बढ़ाएं। अल्लाह की मदद भी शामिल हो जाएगी इंशा-अल्लाह। अल्लाह हमें इस पर साबित क़दम रखे। आमीन।