
अजमेर। अजमेर शरीफ दरगाह में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो गई है। शनिवार को बुलंद दरवाजे पर उर्स का झंडा पेश किया गया। इस मौके पर पहाड़ी से 21 तोपों की सलामी देकर ख्वाजा साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
अफगानिस्तान के बादशाह ने शुरू की थी झंडा पेश करने की परंपरा
ख्वाजा साहब के उर्स में झंडा चढ़ाने की परंपरा कई सदियों पुरानी है। यह परंपरा अफगानिस्तान के बादशाह द्वारा शुरू की गई थी। इसके बाद से गौरी परिवार इस रस्म को निभाते हुए हर साल झंडा पेश करता आ रहा है।

उर्स के दौरान बड़ी संख्या में जायरीन पहुंचे
झंडा पेश करने के साथ ही उर्स की अनौपचारिक शुरुआत होती है। इस अवसर पर देश-विदेश से हजारों जायरीन अजमेर शरीफ पहुंचकर ख्वाजा साहब की दरगाह पर हाजिरी लगा रहे हैं। उर्स के दौरान दरगाह क्षेत्र को विशेष रूप से सजाया गया है।

सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है उर्स
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का उर्स सांप्रदायिक सौहार्द और एकता का प्रतीक माना जाता है। इस आयोजन में हर धर्म और समुदाय के लोग बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं।

प्रशासन ने किए सुरक्षा के कड़े इंतजाम
उर्स के मद्देनजर अजमेर प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। दरगाह क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। साथ ही जायरीन की सुविधा के लिए कई विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।
गौरी परिवार की रस्म अदायगी के साथ शुरुआत
गौरी परिवार के सदस्यों ने बुलंद दरवाजे पर झंडा पेश कर उर्स की शुरुआत की। झंडा पेश करने के बाद दरगाह में विशेष दुआएं मांगी गईं। यह रस्म ख्वाजा साहब के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास को दर्शाती है।
उर्स के दौरान कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें ख्वाजा साहब की शिक्षाओं और सूफी परंपरा पर चर्चा होगी।
