उत्तर प्रदेशजीवन शैली

बुढ़ापा इंसान के लिए ज़िंदगी का आख़िरी मौक़ा है, तौबा करने के लिए : मुहम्मद इक़बाल

आगरा | मस्जिद नहर वाली के इमाम मोहम्मद इक़बाल ने आज जुमा के ख़ुत्बे में बुढ़ापे को एक आख़िरी चेतावनी बताया। उन्होंने कहा कि लोग आम तौर पर बुढ़ापे को एक तरह की मुसीबत समझते हैं, मगर यह हक़ीक़त नहीं है। असल बात तो यह है कि बुढ़ापा एक नेमत है, और अल्लाह की तरफ़ से एक याददिहानी है, कि अगर तुम अब तक ग़फ़लत में थे, अल्लाह तुम्हें नेमतें दे रहा था। क्या तुमने उसका शुक्र अदा किया? इंसान आम तौर पर अपनी जवानी में ग़फ़लत की ज़िंदगी गुज़ारता है। बुढ़ापा इंसान को यह मौक़ा देता है कि अब संभल जाओ। ज़िंदगी के ये आख़िरी दिन बहुत ही क़ीमती हैं। अपने गुनाहों की माफ़ी माँगें। अपने रब को राज़ी करने की पूरी कोशिश करें। इसके बाद कोई मौक़ा मिलने वाला नहीं है। फिर तो चार लोगों का इंतज़ार करो। इसीलिए बुढ़ापे को अल्लाह रब्बुल आलमीन का एक अतीया (गिफ़्ट) समझें। इसका एक-एक लम्हा सब्र और शुक्र के साथ गुज़ारें। ख़ुद को ऐसे कामों में लगाएँ कि मेरा रब मुझसे राज़ी हो जाए। इस दुनिया से ऐसे रुख़्सत हों कि लोग “रो रहे हों” और बाद में हमारे लिए लोगों की ज़ुबान पर अच्छे कलिमात हों। बस इस आख़िरी मौक़े को, जिसे हम बुढ़ापा कहते हैं, ग़नीमत जानते हुए जो भी नेक आमाल कर सकते हों, इस कोशिश में अभी से लग जाएँ। अल्लाह हम सब से राज़ी हो जाए। आमीन।