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सफाली में सावित्रीबाई फुले जयंती का आयोजन


सावित्रीबाई फुले ने बालिकाओं के लिए पहला शिक्षा संस्थान कायम किया;डॉ फारूक अली

भागलपुर: सावित्री बाई फुले एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुधारक और भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं, जिन्होंने अपना जीवन महिला शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया। उनका जन्म 1831 में हुआ था और उन्होंने अपने पति ज्योति राव फुले के साथ मिलकर महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों के लिए संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभाई थी। उनकी सेवाएँ न केवल महिला शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण थीं बल्कि भारत में सामाजिक सुधारों की नींव रखने में भी मील का पत्थर साबित हुईं।
सावित्री बाई फुले ने 1848 में पुणे में भारत का पहला बालिका विद्यालय स्थापित किया, उस समय महिलाओं की शिक्षा को वर्जित माना जाता था, लेकिन उन्होंने इस रूढ़ि के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने न केवल महिलाओं के लिए स्कूल स्थापित किए, बल्कि जाति और लिंग भेदभाव के खिलाफ भी आवाज उठाई, कम उम्र में शादी और महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ अभियान चलाया और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया। उक्त बातें अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रोफेसर डॉ. फारूक अली ने कहा। कार्यक्रम के
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर डॉ. शाहिद रजा जमाल ने कहा कि महिला शिक्षा के क्षेत्र में सावित्री बाई फुले की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने सहयोगी फातिमा शेख के साथ मिलकर नारी शिक्षा एवं सशक्ति कम के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। डॉ. जमाल ने भागलपुर की रुकिया सखावत की सेवाओं को भी स्वीकार किया और कहा कि बीसवीं सदी की शुरुआत में भागलपुर में महिला मदरसा की स्थापना किया, जो न केवल उल्लेखनीय बल्कि सराहनीय कदम है।
उन्होंने आगे कहा कि सावित्रीबाई फुले ने कहा था कि यदि कतार में खड़ी आखिरी महिला शिक्षा से सुशोभित नहीं होती है तो समाज, राष्ट्र और देश विकास के पथ पर अग्रसर नहीं हो सकता।
इस अवसर पर गुलअफशां परवीन ने भी संबोधित करते हुए महिला शिक्षा के महत्व पर जोर दिया और अभिभावकों से जागने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले और रुकिया शखावत जैसी हस्तियों ने महिला शिक्षा के लिए बहुत बड़ा त्याग किया है और उनके मिशन को पूरा करने के लिए सामाजिक स्तर पर और अधिक प्रयासों की जरूरत है.
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने भाग लिया।