संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। भाजपा में जिलाध्यक्ष पद को लेकर “एक राय”नहीं बन पाई। चुनाव अधिकारी “वाल्मीकि त्रिपाठी के राजनीतिक रामायण एकमत” होने के लियें सुझाव “दावेदारों को रास”नहीं आया। परिणाम स्वरूप स्थिति फिल्मी गाने “कबूतर जा जा जा” की सी हो गई। पैनल लेकर “वाल्मीकि जी लखनऊ के लियें पैगाम” पहुंचाने रवाना हो गये। भाजपा जिलाध्यक्ष के लियें गुरुवार को नामांकन था। “गहमा -गहमी के बीच नामांकन की प्रक्रिया की औपचारिकता” चली। 94 दावेदारों नें नामांकन किया। चयनित होने का अब “फाईनल डिसीजन प्रदेश संगठन” करेगा।
सत्तारूढ़ दल के चलते “जिलाध्यक्ष पद हनक के अलावा मलाईदार” माना जाता है। इसलिये इस पद को हासिल करने के लियें “महात्वाकांक्षा की गिद्ध दृष्टि” है। सब दावेदार “बकुल ध्यानम” की मुद्रा में हैं। इसमें पुरुष एवं महिला दावेदारों की महत्वपूर्ण श्रंखला है।फिलहाल तो अब जिलाध्यक्ष के चयन की गेंद प्रदेश संगठन के पाले में चली गई है। “देखना होगा की इसमें सवर्ण ,पिछड़ा या अनुसूचित जाति वर्ग में किसकी गोटी लाल” होती है। सूत्रों के अनुसार एक सप्ताह के अंदर जिलाध्यक्ष के नाम की घोषणा हो जायेगी।