उत्तर प्रदेशराजनीति

देश के आम आदमी की घरेलू बचत घट गई और GST टैक्स बढ़ गया – सुप्रिया श्रीनेत

बेरोजगारी , मंहगाई और कम आय से जूझ रहे देशवासियों को GST में राहत दे मोदी सरकार – सुप्रिया श्रीनेत्र

टैक्स में राहत देकर,घरेलू आवश्यक वस्तुओं और हेल्थ बीमा से GST हटाए केंद्र सरकार – सुप्रिया श्रीनेत्र

लखनऊ। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं,सोशल मीडिया & डिजिटल प्लेटफॉर्म की अध्यक्ष श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत्र ने लखनऊ स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय नेहरू भवन पर आयोजित प्रेस वार्ता में केंद्र की भाजपा मोदी सरकार द्वारा देश की आम जनता पर भारी टैक्स लगाने का आरोप लगाया और GST गब्बर सिंह टैक्स से पीड़ित आम जनता को आगामी बजट में राहत देने की मांग की साथ ही आवश्यक घरेलू वस्तुओं और हेल्थ बीमा से GST हटाने की मांग की । प्रेस कांफ्रेंस में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत्र के साथ मीडिया चेयरमैन डॉ सी. पी. राय, प्रदेश प्रवक्ता प्रवक्ता उमाशंकर पांडे,अंशू अवस्थी, सचिन रावत, और सोशल मीडिया वाइस चेयरमैन शालिनी सिंह उपस्थित रहे । प्रेस वार्ता में सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि आज से कुछ ही दिनों में सरकार अपना बजट पेश करने वाली है,यह बजट देश का भविष्य तय करेगा - क्या अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी या नौकरियां बनेंगी ? क्या उपभोग बढ़ेगा, क्या निवेश होगा ? क्या लोगों पर जो महँगाई की मार है वह कम होगी ? और सबसे अहम सवाल क्या आम आदमी से जो ज़बरन टैक्स वसूला जा रहा है उसमें कुछ राहत मिलेगी, आज़ाद हिन्दुस्तान में पहली बार सूट बूट की इस सरकार में इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स से कहीं ज़्यादा है. मतलब बड़े बड़े पूंजीपति आज आप से कम टैक्स दे रहे हैं।

सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि मोदी सरकार ने गब्बर सिंह टैक्स के माध्यम से जिसे इस देश के सबसे अमीर और सबसे ग़रीब आदमी के लिए एक बराबर होना चाहिए. लेकिन इस सरकार ने ना सिर्फ़ GST का रायता फैलाया हुआ है बल्कि असलियत ये है कि आपके आटा, दही, दवाई, पढ़ाई और यहाँ तक कि पॉपकॉर्न और पुरानी गाड़ी बेचने पर भी जमकर ज़बरन GST वसूला जा रहा है , आज आम आदमी पर टैक्स ज्यादा है और कार्पोरेट उद्योगपतियों पर टैक्स कम।

सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि मोदी सरकार हर महीने GST collection करके खुशियां मनाती है. वो ये भी नहीं समझते कि GST एक consumption tax है मतलब यह टैक्स लोग उपभोग पर देते हैं. और गरीब अपनी अधिकांश आय का उपभोग करते हैं, जबकि अमीर अपनी आय का बड़ा हिस्सा बचाते हैं. इसीलिए GST की मार गरीबों पर ज़्यादा पड़ती है. औसतन collection का 64% हिस्सा देश की आर्थिक रूप से निचली आधी आबादी मतलब bottom 50% से आता है. GST का केवल 3% शीर्ष 10% से आता है. यह गरीबों पर लगने वाला टैक्स है जो बढ़ता ही जा रहा है, इस भार का सबसे ख़राब प्रभाव मध्यम वर्ग और गरीबों पर पड़ रहा है. लोग भोजन और शिक्षा जैसी आवश्यक वस्तुओं पर कम खर्च कर रहे हैं. खासतौर से बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण जीवन और स्वास्थ्य बीमा जैसी आवश्यक सेवाओं पर GST rate 18% है। सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि आज आम आदमी की जेब में पैसा नहीं है जिस वजह से FMCG कंपनियों में छोटे पैकेजों की मांग बढ़ी है, मतलब लोगों के पास ज़रूरी चीज़ें ख़रीदने के लिए पैसा और उतना सामर्थ्य नहीं है इसी जबरदस्त टैक्स, कमरतोड़ महंगाई, बेरोजगारी, कम आय, के कारण उपभोग जो हमारे GDP का 2/3 हिस्सा है,उसमें भारी गिरावट आई है. यही नहीं, आज लोग भविष्य की बचत से खर्च करने को मजबूर हैं. घरेलू बचत 50 साल के सबसे निचले स्तर पर है. जेवर गिरवी रखने वालों की संख्या करीब 50% बढ़ गई है. लोग ऋण चुकाने में असमर्थ हैं, डिफ़ॉल्ट में 30% की वृद्धि हुई है - मंगलसूत्र तो नरेंद्र मोदी छीन रहे हैं, सेकेंड्री स्कूल के एडमिशन में गिरावट और विश्वविद्यालयों से बिना डिग्री के पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर छात्र भी आर्थिक बर्बादी का प्रमाण हैं।

राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि भाजपा की असंवेदनशील सरकार का युवा विरोधी चरित्र सामने है कि आज नौकरियों के फार्म फीस पर भी 18 % GST लिया जा रहा है, मोदी सरकार गरीबों से टैक्स वसूली का जश्न मनाती है – पर जब अमीरों की बात आती है, तो कॉर्पोरेट टैक्स घटा कर पूंजीपतियों का 4.5 लाख करोड़ का लाभ पहुंचाती है!

सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि GST की गुत्थी तो मानवजाति के लिए सुलझाना असंभव है. आप भी सोचिए एक पॉपकॉर्न पर तीन दरें : 5%, 12% और 18% लगाने का क्या मतलब है? यह Good and Simple Tax के सिद्धांत के ही विपरीत है।

हमारी कांग्रेस पार्टी एक या ज़्यादा से ज़्यादा दो GST रेट की पैरोकार है. यहाँ तो अलग अलग चीज़ों के लिए 0%, 0.25%, 1.5%, 3%, 7.5% और 28% को शामिल करें तो वर्तमान में कुल 9 GST दरें हैं. उसके ऊपर से अगर surcharge और cess जैसी चीज़ें देखें तो GST कई लेयर में वसूला जा रहा है. इतनी सारी दरों ने ना सिर्फ़ उपभोक्ताओं को भ्रमित किया है बल्कि छोटे व्यवसायों के लिए काम करना मुश्किल कर दिया है लेकिन इस पूरे रायते में कुछ लोग फ़ायदा भी उठा रहे हैं. GST इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI) में हालिया धोखाधड़ी के आंकड़े ग़ौरतलब हैं 2023-24 में 2 लाख करोड़ रुपये की GST चोरी हुई, इनपुट टैक्स क्रेडिट में धोखाधड़ी आम है, इसमें 35,132 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई, 25,000 करोड़ रुपये की GST चोरी से जुड़ी 18,000 फर्जी संस्थाओं का खुलासा हुआ। सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि सरकार के ख़ुद के आंकड़ें ही बता रहे हैं कि इस साल GDP ग्रोथ मात्र 6.4% होने वाली है. यह ना सिर्फ़ 4 साल में सबसे कम है, बल्कि कोरोना महामारी के बाद की सबसे निचली ग्रोथ रेट है. इसका मतलब है नौकरियां ख़त्म होंगीं, निवेश और उपभोग कम होगा और उसपर महँगाई और टैक्स की मार से जीना दूभर है। सरकार के मंत्री और BJP वाले विशेषज्ञों पर कितना ही कटाक्ष कर लें लेकिन इस सरकार ने पूरे देश को कम ग्रोथ और कमरतोड़ महंगाई में झोक दिया है. जब सरकार आर्थिक तंगी की असलियत ही नहीं स्वीकारेगी तो समाधान क्या खाक ढूँढेगी। सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. आप उन वेबसाइटों को हटा सकते हैं, जहाँ डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में GDP की ज्यादा ग्रोथ लिखी थी! लेकिन आप कैसे झुठलायेंगे कि UPA (2004-14) के तहत औसत वार्षिक GDP ग्रोथ 7.5% थी, जबकि मोदी (2014-24) के कार्यकाल में ये काफी कम 6.5% रही है, प्रधानमंत्री और उनकी सरकार 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का जाप करती रहे - यह अलग बात है कि ऐसा होना तो 2022 में था और अब 2025 भी आ गया. सीना ठोकने और प्रोपेगेंडा फैलाने से आपको सिर्फ अंधभक्तों की तालियां और चरणचुंबक मीडिया की ओर से अहम मुद्दों पर सुई टपक सन्नाटा तो मिल सकता है।

प्रेस कांफ्रेंस में सुप्रिया श्रीनेत्र ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले आम बजट में आम जनता को राहत देने की मांग उठाते हुए कहा कि भीषण बेरोजगारी, भयावह महंगाई और कम आय से जूझ रहे देश के लोगों को टैक्स में ख़ासतौर से GST में राहत दी जाये और आवश्यक वस्तुओं और हेल्थ बीमा से GST हटाया जाये , यदि मोदी जी चाहें तो जैसा वह पहले भी हमारी स्कीमों के नाम बदल कर अपना नाम देने में माहिर मोदी जी कांग्रेस के 2024 के न्याय पत्र से ताज़ा और सरल GST 2.0 का प्रारूप ज़रूर लेकर आम लोगों को टैक्स के बोझ में राहत दें ।