संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। पांच लाख से अधिक अन्ना मवेशियों ने चित्रकूटधाम मंडल के किसानों की नाक में दम कर रखा है। अन्ना मवेशियों को लेकर एक-दूसरे गांवों के किसान आमने-सामने आ रहे हैं। साथ ही फसल बचाने के लिए जान की परवाह किए बिना कोहरे और कड़ाके की ठंड में खुले आसमान तले खेतों में जागकर रात बिता रहे हैं।दैवी आपदाओं की मार झेल रहे बुंदेलखंड में अन्ना पशुओं की संख्या साल-दर साल बढ़ रही है। पशुपालन विभाग के आंकड़ों में ही चित्रकूटधाम मंडल के चारों जिलों मेें इनकी संख्या साढ़े पांच लाख से है।
खेतों में चना, गेहूं, अरहर, मटर की फसलें हैं। किसानों को अच्छी फसल की उम्मीद है, लेकिन अन्ना मवेशी इनकी चिंता बढ़ा रहे हैं। शुक्रवार को मटौंध क्षेत्र के कई गांवों के किसानों ने लगभग एक हजार अन्ना मवेशियों को बांदा शहर के रास्ते नरैनी से एमपी की ओर हांक दिया। इनके साथ किसान भी लाठियां लेकर रातभर पैदल चले। घेराबंदी के बाद भी पशुओं ने कई खेतों की फसल सफाचट कर दी।
उधर, मशक्कत से बोई फसल बचाने के लिए किसान खेतों में खुले आसमान तले खाट डालकर डेरा डाले हैं। रजाई और अलाव के सहारे खेत में ही रात बिता रहे हैं। कोहरे और शीत लहर में इनकी जान भी जा सकती है। मथनाखेड़ा के किसान जुगुल किशोर भी इन्हीं में से एक हैं। उन्होंने बताया कि ठंड और बदमाशों से ज्यादा खौफ अन्ना मवेशियों का है। बड़ोखर खुर्द गांव के किसान छोटा भइया ने बताया कि कटीले तारों की घेराबंदी के बावजूद अन्ना मवेशी रातोंरात खेत सफाचट कर रहे हैं। प्रशासन या स्वयंसेवी संगठनों द्वारा बनाए गोशाला ठप हो चुके हैं। प्रशासन द्वारा चारा-भूसा का इंतजाम न किए जाने से यह योजना फ्लाप हो गई।