आगरा। उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल और मल्होत्रा नर्सिंग एंड मैटरनिटी होम के चेयरमैन डॉक्टर राजेंद्र मोहन मल्होत्रा नहीं रहे। रविवार की शाम उनका निधन हो गया। वे 93 साल के थे। उनके निधन पर डॉक्टर्स और शहर के गणमान्य लोगों ने दुख जताया है।
मानवतावादी और भलाई के अग्रदूत डाॅक्टर आरएम मल्होत्रा के पूर्वज 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन से पहले ही भारत आकर बस गए थे। उनके पिता शिवनाथ मल्होत्रा ( एसएन मल्होत्रा) ने पाकिस्तान के लाहाैर विश्वविद्यालय से एमडी किया था। वे पाकिस्तान के पसिया डसका के रहने वाले थे। उन्होंने कई बार इंग्लैंड की यात्रा की। आरएम मल्होत्रा के पिता पहले शिमला के निकट जुब्बल आए। फिर कराैली महाराज राजस्थान ने अपने पास बुला लिया। उनके पिता जाने माने विद्वान थे। अगर किसी पुस्तक को एक बार पढ़ लेते तो किस पेज पर क्या लिखा है, बता देते थे। उन्होंने कुष्ठ रोग पर किताब भी लिखी थी।
आरएम मल्होत्रा ने कराैली जिले में पढ़ाई की थी। 1951 में जयपुर स्थित सवाई मानसिंह मेडिकल काॅलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई की। एमबीबीएस करने के बाद उन्होंने जनरल सर्जरी और नेत्र चिकित्सा में डिप्लोमा किया। उनकी पहली पोस्टिंग जिला पुलिस अस्पताल में मेडिकल सुपरिटेंडेंट के रूप में हुई। उन्होंने डाॅक्टर प्रभा मल्होत्रा को अपनी जीवनसंगिनी बनाया। 17 मई 1956 में दोनों की शादी हुई।
1957 में एसएन मल्होत्रा के रिटायर होने के बाद भरतपुर में मल्होत्रा नर्सिंग होम स्थापित किया। दो साल बाद 1959 में डाॅक्टर आरएम मल्होत्रा ने अपनी पत्नी डाॅक्टर प्रभा मल्होत्रा और पिता डाॅक्टर एसएन मल्होत्रा के साथ 1959 में आगरा को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना। एमजी रोड पर कोठी खरीदी। यहां मल्टी स्पेशियलिटी हाॅस्पिटल खोला। नाम दिया मल्होत्रा नर्सिंग होम। यह उत्तर प्रदेश का पहला निजी नर्सिंग होम था।
कुछ ही समय में अपनी चिकित्सीय सेवा के दम पर वे कुशल चिकित्सक, जनरल सर्जन और स्त्री रोग के रूप में मशहूर हो गए। उनका हमेशा प्रयास रहा कि चिकित्सा पद्धति को और कैसे बेहतर बनाया जाए। नई चिकित्सा विधि सीखने और वर्कशाॅप के लिए दर्जनों बार विदेश की यात्रा की। उनके कई शोध पत्र भी प्रकाशित हुए। 1980 में उत्तर प्रदेश में पहली बार दूरबीन विधि से ऑपरेशन की सुविधा मल्होत्रा नर्सिंग होम में शुरू हुई। चिकित्सा क्षेत्र में तकनीक के मामले में यह अस्पताल हमेशा अग्रणी रहा है। 1982 में अल्ट्रासाउंड की शुरुआत भी इसी अस्पताल में हुई। 1982 तक उत्तर प्रदेश के किसी निजी अस्पताल में इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं। ऐसे कई कीर्तिमान उन्होंने स्थापित किए। 1997 में उत्तर प्रदेश का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर मल्होत्रा नर्सिंग होम में स्थापित किया गया। मल्होत्रा अस्पताल मैटरनिटी एवं प्रसूति विभाग की तरह जाना गया। आगरा क्षेत्र के करीब 50 हजार बच्चों ने इस अस्पताल में जन्म लिया।
प्रतिभा के धनी एवं इरादों के पक्के डाॅक्टर आरएम मल्होत्रा को नियति ने एक बड़ा झटका दिया। 2012 में पत्नी डाॅक्टर प्रभा मल्होत्रा का असामयिक निधन हो गया। इसके बाद रेनबो हॉस्पिटल की स्थापना की गई। 110 बेड वाले इस अस्पताल की पहचान सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के रूप में हुई।
आरएम मल्होत्रा सरल स्वभाव के थे। उन्होंने साथियों और स्टाफ को हमेशा मेहनत, ईमानदारी और अनुशासन की सीख दी। मरीजों के प्रति वे सदैव उदार रहे। अगर कोई जरूरतमंद आर्थिक मदद के लिए आया तो डाॅक्टर आरएम मल्होत्रा और डाॅक्टर प्रभा मल्होत्रा उसके सामने साइन करके चेक बुक रखकर कहते थे कि जितनी रकम चाहिए भर लो। एक बार ब्यूटीशियन शहनाज हुसैन ने आगरा में अपनी ब्रांच खोली। पम्मी बलूजा ने एजेंसी ली, लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। वह डाॅक्टर प्रभा मल्होत्रा के पास पहुंची। उन्होंने उन्हें चेक बुक दे दी। पम्मी ने चेक पर 20 हजार रुपये लिखे और चेक ले लिया। इस तरह की मदद वे हमेशा करते रहते रहे। वे कई संस्थाओं से जुड़े थे। कुष्ठ आश्रम, रोटरी क्लब, आगरा क्लब और महिला क्लबों में कई कार्य कराए। वे थियोसॉफिकल सोसायटी के सक्रिय सदस्य भी रहे।
आरएम मल्हत्रा के पुत्र उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल के एमडी एवं प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर नरेंद्र मल्होत्रा और पुत्रवधू रेनबो आईवीएफ की एमडी डाॅक्टर जयदीप मल्होत्रा उनके द्वारा रोपे गए अस्पताल को उनके ही पदचिन्हों पर चलकर आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी तीन बेटियों में नीलम गुलाटी पत्नी सुनील गुलाटी का नई दिल्ली में कॉस्मेटोलॉजी सेंटर है। मंझली बेटी पूर्णिमा पत्नी संगीत शर्मा प्रसिद्ध आर्किटेक्ट हैं। छोटी बेटी डाॅक्टर बेला मोहन पत्नी डाॅक्टर आदित्य मोहन दिल्ली में दंत रोग विशेषज्ञ हैं। पौत्र आईआईवीएफ तकनीक में एंब्रॉलजिस्ट डॉक्टर केशव मल्होत्रा और पौत्री आईवीएफ एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर निहारिका मल्होत्रा आगरा में प्रैक्टिस कर रहे हैं।
नीलम और सुनील गुलाटी के बेटे रोमित गुलाटी और उनकी पुत्रवधू झरना गुलाटी अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। पूर्णिमा शर्मा की बेटी आरुषि शर्मा और उनके पति सिंगापुर में सीनियर मैनेजर हैं। बेटा शिवांश शर्मा आर्किटेक्ट है और कॉफी रोस्टिंग का भी बिजनेस करते हैं। बेला और आदित्य मोहन की बेटी अवनिका एक डिजाइनर हैं। वे मिस्त्री ब्रांड के नाम से लेदर बैग का काम करती हैं। बेटा अनिकेत मोहन ने हाल ही में इंग्लैंड से आईवीएफ तकनीक में एंब्रोलॉजिस्ट की पढ़ाई पूरी की है। उनकी पहली पोस्टिंग मनीला में हुई है।