गाजियाबाद में भी भव्य कार्यक्रम, इंद्रेश कुमार ने दिए प्रेरक संदेश
गाजियाबाद। सर्दी की ठिठुरती रातों में जब जरूरतमंद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे होते हैं, ऐसे में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने मानवता और सेवा की अद्वितीय मिसाल पेश करते हुए उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में सर्दियों में कंबल वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम गाजियाबाद में भी किया गया जहां मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने विशेष रूप से शिरकत करते हुए एकता, अखंडता और जनसेवा का पाठ पढ़ाया।
गाजियाबाद के अर्थला मेट्रो के पास स्थित सेलिब्रेशन ग्राउंड में आयोजित भव्य कार्यक्रम में करीब 1500 जरूरतमंदों को कंबल वितरित किए गए। यह आयोजन मंच के राष्ट्रवादी मूल्यों, मानवीय संवेदनाओं और समाजसेवा के प्रति प्रतिबद्धता का परिचायक था। इंद्रेश कुमार के अलावा कार्यक्रम में मंच के कई वरिष्ठ नेता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इनमें राष्ट्रीय संयोजक गिरीश जुयाल, शालिनी अली और शाहिद सईद के साथ साथ, दिल्ली प्रदेश संयोजक हाफिज साबरीन, इमरान चौधरी, मेरठ प्रांत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संयोजक श्यामदत्त कौशिक (टिल्लू पंडित), मुस्तफा चौधरी, उमर कादरी, फैज खान और कारी अबरार जैसे प्रमुख नाम शामिल थे। सभी ने मंच की इस पहल को सराहा और समाज के सभी वर्गों से ऐसे सेवा कार्यों में भाग लेने की अपील की।
इंद्रेश कुमार ने मानवता, सेवा और अखंडता का दिया संदेश:
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार ने इस अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए कहा, “सेवा का यह कार्य न केवल मानवता की सच्ची सेवा है, बल्कि यह राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को जोड़ने और एक मजबूत भारत का निर्माण करने का भी एक प्रयास है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “भारत केवल एक भूभाग नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और अखंडता का प्रतीक है। सेवा के माध्यम से ही हम अपने राष्ट्र को मजबूत और एकजुट बना सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “जरूरतमंदों की मदद करना हमारे संस्कारों का हिस्सा है और इस कार्य के माध्यम से हम समाज में सकारात्मकता और भाईचारे का प्रसार कर सकते हैं। यह केवल कंबल वितरण का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को जोड़ने और उन्हें गरिमा के साथ जीने का अधिकार प्रदान करने का प्रयास है।”
दिल्ली में चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण वहां इस वर्ष कंबल वितरण कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया। इसके बावजूद, मंच ने उत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में हजारों जरूरतमंदों को कंबल और गर्म कपड़े बांटकर अपनी सेवा यात्रा को जारी रखा। गाजियाबाद का यह आयोजन उसी कड़ी का हिस्सा था, जिसमें मंच ने समाज के हर वर्ग को जोड़ने और सेवा के माध्यम से राष्ट्रवाद का संदेश देने का प्रयास किया।
मानवता और सौहार्द का प्रतीक बनेगा यह कार्यक्रम:
मंच की महिला विंग की हेड और राष्ट्रीय संयोजक डॉ. शालिनी अली ने कहा, “आज जब समाज में विभाजन की राजनीति अपने चरम पर है, ऐसे में इस तरह के सेवा कार्यक्रम समाज को नई प्रेरणा और दिशा देने का काम करते हैं। हमारा उद्देश्य न केवल जरूरतमंदों की मदद करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि समाज का हर वर्ग एक साथ जुड़कर एक सशक्त भारत का निर्माण करे।”
उन्होंने आगे कहा, “सेवा करना न केवल हमारा कर्तव्य है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा भी है। हमें ऐसे कार्यों के माध्यम से समाज के हर व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए और उन्हें गरिमा के साथ जीने का अवसर प्रदान करना चाहिए।”
सेवा, सौहार्द और राष्ट्रवाद की डोर मजबूत करना प्राथमिकता:
कार्यक्रम के अंत में मंच ने अपनी भविष्य की योजनाओं को लेकर भी चर्चा की। मंच ने यह स्पष्ट किया कि वह आगे भी इस तरह के सेवा कार्यों को जारी रखेगा और समाज के हर व्यक्ति तक मदद पहुंचाने का प्रयास करेगा। मंच ने यह भी संकल्प लिया कि सेवा और सौहार्द को प्राथमिकता देते हुए राष्ट्रवाद के संदेश को हर गांव और हर शहर तक पहुंचाया जाएगा।
सेवा ही सच्चा धर्म: मंच का संदेश:
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश दिया कि “सेवा ही सच्चा धर्म है।” जरूरतमंदों की मदद और समाज के हर वर्ग को जोड़ने की यह पहल न केवल मानवता का प्रतीक है, बल्कि यह राष्ट्रवाद की असली भावना को भी दर्शाती है। मंच ने समाज के हर नागरिक से अपील की कि वे इस सेवा यात्रा का हिस्सा बनें और एक सशक्त, एकजुट और समृद्ध भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। कार्यक्रम का समापन इस प्रेरणादायक संदेश के साथ हुआ कि “सेवा, सौहार्द और राष्ट्रवाद की यह यात्रा अनवरत जारी रहेगी।”
मंच ने ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से यह संदेश दिया कि सेवा न केवल जरूरतमंदों की मदद का माध्यम है, बल्कि यह समाज को एकजुट करने और उसे एक नई दिशा देने का भी सशक्त जरिया है। यह पहल मंच की उस दूरदृष्टि को भी दर्शाती है, जिसमें सेवा, सौहार्द और राष्ट्रवाद को एक साथ लाने की अनूठी परिकल्पना की गई है।