बरेली,आला हज़रत द्वारा स्थापित मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम में 76वां गणतंत्र दिवस बहुत अजीमुशशान अंदाज में मनाया गया। इस मौके पर दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हानी मियॉ व सज्जादानशीन हज़रत मुफ्ती अहसन मियॉ ने मुल्क में अमन व मज़हब व मसलक की तरक्की के लिए खुसुसी दुआ की। मुफ्ती मोइनुद्दीन,मुफ्ती अफरोज,मुफ्ती सय्यद कफील,मुफ्ती जमील,मुफ्ती अख्तर,सय्यद शाकिर,मौलाना मुजीब,सय्यद जुल्फी,मौलाना कलीमुरहमान,कारी अब्दुल हकीम,मुफ्ती अय्यूब खान,मौलाना अबरारुल हक,मौलाना मोईन खान आदि ने यौमे जमहुरिया की सब को मुबारकबाद दी।
दरगाह से जुड़े नासिर क़ुरैशी ने बताया कि मदरसे के प्रधानाचार्य मुफ्ती आकिल रज़वी व मदरसा शिक्षकों और मदरसा छात्रों ने तय तिरंगा फहराकर हिन्दुस्तानी तराना पढा। उसके बाद मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम के छात्रों ने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।जिसमें भारत के संविधान की खुसूसियत और अहमियत पर रौशनी डाली। मुफ्ती आकिल रज़वी,शिक्षक मास्टर कमाल,मौलाना डाक्टर एजाज अंजुम व मुफ्ती सलीम बरेलवी ने आज़ादी की जंग में मदरसों की भूमिका और भारत के संविधान बनने और उसके लागू होने के इतिहास पर रौशनी डालते हुए इस संविधान के अस्ल मक़सद आपसी सौहार्द को बढावा देने और अनेकता में एकता का भाव रखने तथा नफ़रत के खात्मे पर जोर दिया। तिरंगा लहराने के बाद रज़वी हाॅल में गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन हुआ। इस मौके पर मदरसा छात्रो को मिठाई तकसीम की गई।

मंजरे इस्लाम के शिक्षकों ने खिताब करते हुए में कहा कि 26 जनवरी 1950 भारतीय संविधान लागू हुआ था। यह लोकतंत्र,न्याय,स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों का सम्मान करते हुए हम सब के लिए गौरव का दिन है। गणतंत्र दिवस एक मुखतलिफ और अनेकता वाले समाज में सांप्रदायिक सद्भाव व आपसी सौहार्द को बढ़ावा देने का हम से मुतालबा करता है और हमें हमारे बुजुर्गों द्वारा किए गए प्रयासों की याद दिलाता है।
हमारा मुल्क अनेक संस्कृतियों,भाषाओं,मज़हबों और परंपराओं का एक मिश्रण है। यही इसकी खूबी है। भारतीय संविधान,राष्ट्र का मार्गदर्शक दस्तावेज,सांप्रदायिक सद्भाव सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान के बुनियादी सिद्धांतों में से एक है।