उत्तर प्रदेशजीवन शैली

सामान्य लोगों से 10 वर्ष कम जी रहे भारतीय डॉक्टर्स

सिकन्दरा बोदला डॉक्टर्स एसोसिएशन व मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पीटल नोयडा के तत्वावधान में आयोजित की गई सीएमई

आगरा। अपने मरीजों को स्वस्थ रखने वाले भारतीय डॉक्टर्स सामान्य लोगों से औसत जीवनकाल से लगभग 10 वर्ष कम जी रहे हैं। जिसका कारण अधिक कार्य के कारण पूरी नींद न ले पाना, तनाव से कार्टीशाल का बढ़ता प्रवाह, तनाव से हृदय जनित विकार है। सिकन्दरा बोदला डॉक्टर्स एसोसिएशन व मैक्स हॉस्पीटल नोयडा द्वारा होटल भावना क्लार्क में आयोजित सीएमई (कन्टीन्यू मेडिकल एजूकेशन) में आज नकारात्मकता, तनाव और नींद पूरी न होने जैसे कारणों का भारतीय डॉक्टरों के जीवन पर पड़ रहे दुष्प्रभावोम के बारे में अवगत कराया।


कार्यक्रम का शुभारम्भ आईएमए अध्यक्ष डॉ. अनूप दीक्षित, सिकंदरा बोदला डाक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डाक्टर पंकज नगायच, सचिव डॉ मुकेश, scientific सचिव डॉक्टर ज्योति, कोषाध्यक्ष डॉक्टर अमित डॉक्टर योगेश, डाक्टर अर्चना, डाक्टर अंजना सहित वरिष्ठ डॉक्टरों ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पीटल नोयडा के डॉ. सुदीप ने मैनेजमेंट ऑफ बीपीएच विद इम्फेसिस व नई तकनीक के विषय में विस्तार से जानकारी दी। डॉ. अतुल शर्मा ने यूरो ऑंकोलॉजी के एडवांस व नई तकनीक के बारे में डॉक्टरों को अवगत कराया। एसएन मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रशान्त लवानिया ने सर्जरी की नई विधाओं पर जानकारी देते हुए मरीजों के दृष्टिकोण से उसके लाभ बते। इस अवसर पर मुख्य रूप से सिकन्दरा बोदला डॉक्टर्स एसोसिएशन के आदि उपस्थित थीं।

आज के CME मैं जो सार निकला ….
-औसत जीवनकाल सामान्य जनसंख्या से 10 वर्ष कम।
-82 प्रतिशत डॉक्टर पेशे में तनाव महसूस करते हैं।
-76 प्रतिशत कम पर चिन्ता के लक्षणों को स्वीकारते हैं।
-56 प्रतिशत 7 घंटे की आरामदायत नींद बी नहीं ले पाते।
-75 प्रतिशत ने काम पर किसी न किसी रूप में हिंसा का अनुभव किया।
-46 प्रतिशत को लगता है कि हिन्सा तनाव का मुख्य कारण है।
-45 प्रतिशत भावनात्मक थकान बर्नआऊट को स्वीकारते हैं। 87 प्रतिशत व्यक्तिगत उपलब्धि के पैमाने पर खुद को कम कते हैं।