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एफ.एच. मेडिकल कॉलेज एत्मादपुर में पहली बार बाल रोगी की सफल ब्रोंकोस्कोपी

आगरा। एफएच मेडिकल कॉलेज, एतमादपुर में आज एक ऐतिहासिक चिकित्सा उपलब्धि हासिल की गई, जब 10 दिनों से गंभीर श्वसन समस्या से जूझ रहे एक बाल रोगी की सफलतापूर्वक ब्रोंकोस्कोपी की गई। यह बाल चिकित्सा क्षेत्र में कॉलेज की पहली ब्रोंकोस्कोपी है, जो संस्थान की उन्नत चिकित्सा सेवाओं की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मरीज की स्थिति:
यह बच्चा बीते 10 दिनों से गंभीर सांस की समस्या से पीड़ित था और उसका पूरा दाहिना फेफड़ा व्हाइट आउट हो चुका था, जिससे उसे ऑक्सीजन संतृप्ति (सैचुरेशन) बनाए रखने में कठिनाई हो रही थी। तमाम उपचारों के बावजूद मरीज की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा था, जिससे बाल रोग विशेषज्ञों को उसके वायुमार्ग में अवरोध (फॉरेन बॉडी या म्यूकस प्लग) की आशंका हुई। इस स्थिति में ब्रोंकोस्कोपी ही एकमात्र उपाय था।

सफल ब्रोंकोस्कोपी:
इस जटिल प्रक्रिया का नेतृत्व एफएच मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ बाल शल्य चिकित्सक डॉ. राहुल देव शर्मा ने किया। इस दौरान टीम में डॉ. सलीस परवेज (निश्चेतना विशेषज्ञ), मोहन (ओटी इंचार्ज), डॉ. प्रिया (एचओडी, एनेस्थीसिया), डॉ. अवनीश (एचओडी, सर्जरी), डॉ. पायल मित्तल (सीनियर पीडियाट्रिशियन) और डॉ. सोनिया भट्ट (एचओडी, पीडियाट्रिक्स) शामिल थे।

डॉ. पायल मित्तल इस मरीज का शुरुआत से ही मेडिकल प्रबंधन कर रही थीं। उन्होंने लगातार मरीज की स्थिति पर नजर रखी और समय पर ब्रोंकोस्कोपी का निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों से बच्चे को सही समय पर आवश्यक उपचार मिल सका।

डॉ. राहुल देव शर्मा ने कहा, “मरीज की स्थिति गंभीर थी और ब्रोंकोस्कोपी ही एकमात्र तरीका था जिससे हम उसकी सांस की नली में मौजूद अवरोध को हटा सकते थे। हमारी टीम ने इस चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया को सफलता पूर्वक अंजाम दिया, जिससे मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ। यह एफएच मेडिकल कॉलेज के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।”


डॉ. पायल मित्तल ने कहा, “इस मरीज का लंबे समय से बाहर प्राइवेट अस्पतालों में मेडिकल मैनेजमेंट किया जा रहा था, लेकिन जब सुधार नहीं हुआ, तो यह मरीज़ हमारे पास आया हमने मरीज़ की history से foreign body होने की संभावना जताई और समय पर ब्रोंकोस्कोपी का निर्णय लिया। यह टीम का सामूहिक प्रयास था, जिससे बच्चे की जान बचाई जा सकी। यह उपलब्धि हमें और अधिक जटिल मामलों को संभालने की प्रेरणा देती है।”

प्रक्रिया के बाद बच्चे की ऑक्सीजन सैचुरेशन सामान्य हो गई और उसकी सांस लेने की तकलीफ में सुधार देखा गया। एफएच मेडिकल कॉलेज की इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि यहां बाल चिकित्सा शल्य चिकित्सा की जटिल प्रक्रियाएं भी विशेषज्ञों द्वारा सफलतापूर्वक की जा सकती हैं। पूरी टीम को इस उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई!