संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। चिल्ला थाना क्षेत्र के ग्राम अतरहट में पांच लाख की हुई चोरी का खुलासा पुलिस तीन सप्ताह बाद भी नहीं कर पाई। पुलिस की जांच “नौ दिन चले अढ़ाई कोस” है!जबकि चोरी के खुलासे के लिये जरा भी गंभीरता से कार्यवाई की गई होती तो सारे मामले का पर्दाफास हो गया होता।चिल्ला थाना के पपरेंदा पुलिस चौकी क्षेत्र के ग्राम अतरहट में 24 जनवरी को चोरी की घटना हुई थी। कुंजवती दीक्षित के देवर के बंद मकान का ताला तोड़कर सीढ़ी के सहारे उनके घर में चोर दाखिल हुए। कमरे का ताला तोड़कर अलमारी में रखे पांच लाख रुपये कीमत के जेवरातों में हाथ साफ कर दिया। सुबह सोकर उठीं मकान मालकिन ने देखा तो पुलिस को जानकारी दी। ताला तोड़ने वाला हथियार भी पुलिस ने बरामद किया था।
कुंजवती दीक्षित ने थाने में तहरीर देकर बताया कि वह अपनी नातिन के साथ 24 जनवरी की रात सोई हुई थी। रात में चोरों ने देवर के घर का ताला तोड़कर सीढ़ी लगाकर उसके घर घुस आए और बहू के कमरे का ताला तोड़कर अलमारी में रखे पांच लाख के जेवर लें गये थे। कुंजवती जिस कमरे में सोई थी उस कमरे की कुंडी को भी बाहर से बंद कर दिया गया था। सुबह जागने पर पड़ोसियों की मदद से कमरा खुला। मकान के चबूतरे से ताला तोड़ने वाला हथियार भी बरामद हुआ।

बताते हैं की मौका मुआवना के दौरान पुलिस यदि “डागस्क्वाड का उपयोग किया होता एवं फिंगर प्रिंट” के प्रति गंभीरता दिखाई होती तो कबके “चोर पुलिस के हत्थे चढ़” गये होते। परंतु अफसोस, पुलिस की जांच शैली किस दिशा में सुराग तलाशती रही की अब तक वह कामयाबी की ओर एक कदम भी नहीं बढ़ सकी।
अब तो चिल्ला थाना की पपरेंदा पुलिस चौकी इंचार्ज का तबादला हो गया हैं। नये साहब नें चार्ज लिया हैं अब देखना होगा की इस चोरी के प्रकरण के खुलासे में वह कितनी “सीना जोरी” दिखाते हैं।