उत्तर प्रदेश

“वक्फ संपत्तियों पर अधिकारों में कटौती को लेकर मौलाना जावेद हैदर जैदी ने जताई गहरी चिंता, कहा- ‘संशोधन को मंजूर नहीं किया जा सकता'”

लखनऊ: संसद में हाल ही में पेश किए गए वक्फ संशोधन बिल को लेकर मुस्लिम धर्मगुरु और ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना जावेद हैदर जैदी ने अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि इस बिल में वक्फ संपत्तियों से जुड़े अधिकारों में अनावश्यक कटौती की गई है, जबकि जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के अधिकारों में वृद्धि की गई है, जो वक्फ संपत्तियों की देखरेख और प्रबंधन से संबंधित हैं। यह बदलाव उनके अनुसार वक्फ संपत्तियों के मूल उद्देश्य और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के खिलाफ है।

मौलाना जावेद हैदर जैदी ने इस बिल के प्रति अपनी असहमति जताते हुए कहा, “वक्फ माले-ए-खुदा और माले-ए-रसूल है, जिसे अल्लाह और उनके पैगंबर का खजाना माना जाता है। इस प्रकार वक्फ संपत्तियों के अधिकारों में कटौती और प्रशासनिक अधिकारों को बढ़ाना, मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन करने जैसा है।” उन्होंने कहा कि इस संशोधन के लागू होने से न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश में वक्फ संपत्तियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जो लाखों मुसलमानों के जीवन और धार्मिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है।

वक्फ संपत्तियां, जो आमतौर पर मुसलमानों द्वारा धार्मिक और समाजसेवी कार्यों के लिए दान की जाती हैं, उनके अधिकारों की रक्षा करना एक महत्वपूर्ण मामला है। मौलाना जावेद हैदर जैदी ने इस बिल को “वक्फ की स्वायत्तता पर हमला” करार दिया और कहा कि इस बदलाव से वक्फ बोर्ड की भूमिका और उसके अधिकार सीमित हो जाएंगे। उन्होंने कहा, “वक्फ संपत्तियां किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव या बाहरी हस्तक्षेप से बचनी चाहिए। यह अल्लाह की अमानत है और इसे किसी भी हालत में कमजोर नहीं होने दिया जा सकता।”

मौलाना ने यह भी कहा कि यह केवल एक धार्मिक मसला नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और कानूनी मुद्दा भी है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि इस संशोधन को तुरंत वापस लिया जाए और वक्फ संपत्तियों से जुड़े अधिकारों की पुनः समीक्षा की जाए। उनके अनुसार, यह संशोधन मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता और उनके सामाजिक कार्यों को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा।

वक्फ से जुड़े मामलों पर विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह बिल पास हो जाता है, तो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ सकता है, जिससे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों में कमी हो सकती है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस बिल को लागू करने से वक्फ संपत्तियों की सही तरीके से देखरेख में रुकावटें आ सकती हैं, क्योंकि अब जिला मजिस्ट्रेट को अधिक अधिकार मिल जाएंगे, जबकि वक्फ बोर्ड के पास कम अधिकार रहेंगे।

समाज के विभिन्न हिस्सों से मिल रही प्रतिक्रिया के अनुसार, यह बिल वक्फ की स्वायत्तता को कमजोर करने का प्रयास प्रतीत हो रहा है। मौलाना जावेद हैदर जैदी के बयान ने इस मुद्दे पर और भी चर्चा को जन्म दिया है, और मुस्लिम समाज में इस बिल के खिलाफ विरोध की भावना मजबूत हो रही है।

वक्फ मामलों से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर मौलाना जावेद हैदर जैदी का कहना है कि यदि सरकार इस संशोधन को लागू करती है, तो मुस्लिम समुदाय इसका विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर सकता है और अदालतों का रुख भी कर सकता है। उनका कहना है कि मुस्लिम समाज को वक्फ संपत्तियों पर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार के संघर्ष से पीछे नहीं हटना चाहिए।