उत्तर प्रदेश

अलबरकात सेंटर ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड लैंग्वेजेज में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा उर्दू पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

संवाद।। शोएब कादरी एटा

अलबरकात सैयद हमीद कम्युनिटी कॉलेज के निदेशक डॉ. सैयद उस्मान की सरपरस्ती में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उर्दू भाषा के महत्व और उपयोगिता को लेकर एक सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत उर्दू विभाग के शिक्षक आसिम कादरी ने क़ुरआन पाक की तिलावत से की, जिसका अनुवाद इस प्रकार है: “निश्चय ही कठिनाई के साथ आसानी है।”
उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में हमें शुरुआत में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन यदि हम पूरी लगन और ईमानदारी से परिश्रम करें तो सफलता अवश्य मिलेगी। इसके बाद उन्होंने अल्लामा इक़बाल के ये प्रसिद्ध शेर पढ़े—
“ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।डॉ. मोहम्मद बैरम ख़ान, जो कि अमेरिका में भाषाविज्ञान विभाग में प्राध्यापक हैं, ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उर्दू भाषा और साहित्य के विकास पर विशेष व्याख्यान दिया। वे लगभग दस वर्षों से अमेरिका में उर्दू भाषा की सेवा कर रहे हैं। उनके व्याख्यान का विषय था: “उर्दू की शक्ति और विविधता: इसका वैज्ञानिक स्वभाव, शैलीगत चमक और सांस्कृतिक महत्व।”
उन्होंने विस्तार से उर्दू शब्द के अर्थों पर प्रकाश डाला। ‘उर्दू’ एक तुर्की शब्द है, जिसका अर्थ ‘सेना’, ‘फ़ौज’, ‘मुख्य बाज़ार’ आदि होता है। इसका ऐतिहासिक नाम ‘रीख़्ता’ और ‘हिंदवी’ भी रहा है। उर्दू का नाम सबसे पहले कवि ग़ुलाम हमदानी मुशाफ़ी ने लगभग 1780 ईस्वी में हिंदुस्तानी भाषा के लिए प्रयोग किया। 18वीं शताब्दी के अंत में इसे ‘उर्दू-ए-मुअल्ला’ के नाम से जाना जाता था।
1999 के आंकड़ों के अनुसार, उर्दू भाषा बोलने वालों की कुल संख्या 10 करोड़ 60 लाख के लगभग थी। उर्दू सिर्फ़ एक भाषा नहीं, बल्कि गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक भी है। इसके बाद आसिम कादरी ने मुख्य अतिथि और सभी शिक्षकों का धन्यवाद किया। अंत में कुछ प्रेरणादायक शेरों के साथ सभा का समापन हुआ। मंज़िल से आगे बढ़कर मंज़िल तलाश कर,
मिल जाए तुझको दरिया तो समुंदर तलाश कर।”

“हर शीशा टूट जाता है पत्थर की चोट से,
पत्थर ही टूट जाए वो शीशा तलाश कर।”

“सजदों से तेरे क्या हुआ सदियां गुज़र गईं,
दुनिया तेरी बदल दे वो सजदा तलाश कर।”

इस अंतरराष्ट्रीय उर्दू भाषा कार्यक्रम में अलबरकात सेंटर ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड लैंग्वेजेज के सभी शिक्षक विशेष रूप से डॉ. सैयद अब्दुल हई, जनाब उबैदुर्रहमान, जनाब अशहद जावेद, मोहतरमा समिया, मोहतरमा सालिहा, मोहतरमा निहा मैम, तथा संस्थान के सभी छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।