उत्तर प्रदेश

मुरादाबाद के प्रथम बेदर्दी से फांसी पाने वाले स्वतंत्रता संग्राम में शहीद मज्जू खान की हवेली के ध्वस्तीकरण की तैयारी क्यों ?


मो० तारिक फारूकी, पत्रकार(वंशज) लखनऊ
सलीमुद्दीन ए० फारूकी (वंशज ) मुरादाबाद

मुरादाबाद,1857 के स्वतंत्रता संग्राम होने वाले अमर शहीद नवाब मज्जू खान जिनको 25अप्रैल 1858 को अंग्रेजों द्वारा अत्यंत दर्दनाक तरीके से अपमानित तरीके से फांसी दे दी गई थी और नवाब साहब की सारी सम्पत्ति जब्त कर कुछ अपने सहयोगी मुखबिर और देश के गद्दारों को बांट दी गई।

इसी क्रम में एक विशाल हवेली स्थित छत्ता मज्जू खान,मांडवीबांस,मुरादाबाद है इस ऐतिहासिक 1857के गदर की गवाह शहीदों का स्मारक हवेली के ध्वस्तीकरण का प्रयास हो रहा है यह बहुत ही अपमानजनक है। क्योंकि 1857 ई के प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमर शहीद नवाब मंज्जू खां ने अंग्रेज़ों को मुरादाबाद से नैनीताल तक खदेड़ा था नवाब मंज्जू खां ने इस क्षेत्र से अंग्रेजों को पुरी तरह पस्त कर दिया था। अंग्रेज़ों को मजबूर हो मुरादाबाद छोड़ कर भागना पड़ा।अंग्रेज़ अधिकारियों ने नवाब मंज्जू खां कि इसी हवेली पर 25 अप्रैल 1858 को महल में अकेले पाकर धोखे से गुप्तचरों की मदद से हमला किया। जिसका नवाब साहब ने बहादुरी से मुकाबला किया। अंग्रेज़ी फौंज ने पुरी तरह हथियारों से लैस होकर यह हमला किया था इसमें नवाब मज्जू खान साहब को भारी नुक़सान हुआ अनेकों परिवारजन और साथी भी शहीद हुए फिर भी उन्होंने योद्धाओं की तरह अंग्रेजों के सामने ना झुककर तलवार को थामे रखा और आजादी के खातिर लड़ते-लडते शहीद हो गए।आज उसी हवेली को शहीद कर तोड़ा जा रहा है। जिसे आज कि पीढ़ी के लिए धरोहर होना चाहिए था।


यह हमारे देश का दुर्भाग्य है जिन्होंने अपना राज काज से लेकर जीवन तक देश के लिए न्यौछावर कर दिया आज उसी आखरी इमारत को भी ज़मीन दोज करने का निंदनीय प्रयास हो रहा है। सरकारों को चाहिए कि इसे पुरातत्व विभाग को सौंप के शहीद स्मारक के रूप में संरक्षित करे।