उत्तर प्रदेश

कांग्रेस नेता चौधरी सत्यवीर सिंह के आकस्मिक निधन से कांग्रेस ने आज एक मिलनसार राजनीतिक योद्धा खो दिया। ~ अयाज़ खान अच्छू

लखनऊ। प्रदेश कांग्रेस उत्तर प्रदेश के एक स्तम्भ नेता चौ. नरेन्द्र सिंह (पूर्व मंत्री) के पुत्र चौ. सत्यवीर सिंह की मृत्यु के दुखद समाचार समाचार को सुनकर आज उत्तर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हर नेता, कार्यकर्ता और कर्मचारी दुखी नजर आया सभी का मन हंसते-मुस्कराते सबको रुलाकर जाने से आहट था कार्यकर्ताओं को उनसे बहुत स्नेह मिला कांग्रेस ने आज एक शिष्ट राजनीतिक योद्धा खो दिया।
सत्यवीर सिंह जी उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव जैसे अनेकों पद पे रह चुके है वे अपने समय में संगठन, ब्लॉक व पंचायत स्तर पर सारा काम देखते थे । सत्यवीर जी का जन्म कानपुर में हुआ। इनकी शुरूआती शिक्षा कई शहरों कानपुर, दिल्ली, लखनऊ जैसी जगहों पर हुई एवं वह स्नातक हैं। इन्होंने बेंगलुरु से स्माल स्केल इंडस्ट्री मैनेजमेंट में डिप्लोमा भी किया था। सत्यवीर जी राजीनीतिक परिवार से सम्बद्ध रखते थे, बावजूद उसके उन्होंने कभी राजनीति में आने की नहीं सोची, मगर कुछ परिस्थितियों की वजह से उन्होंने राजनीतिक करियर का प्रारंभ किया। राजनीति में सक्रिय होने के बाद वे जनकल्याण कार्यों में सदा कार्यरत भी रहते थे।
उत्तरप्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता न्याय योद्धा से सम्मानित श्री अयाज़ खान अच्छू ने बताया कि वे बेहद मृदुल भाषी मिलनसार कार्यकर्ताओं को सम्मान देना उनसे दो कदम आगे बढ़ कर मिलना जैसी उनमें तमाम खूबी थी संगठन की बारीकियों को समझते थे !
चौधरी जी राजनीतिक पृष्ठभूमि से संबंधित था तथा वे लोगों की अपेक्षाओं को ध्यान में रख कर उन्हें पूर्ण करने का कार्य करते रहते थे ।श्री अयाज़ खान अच्छू ने बताया कि पूर्व में सत्यवीर जी ठेकेदारी का भी कार्य करते थे, मगर राजनीति में आने के बाद पूर्णतः इसे बंद कर दिया था वर्तमान में राजनीति के साथ ही वह खेती का कार्य भी करते थे । मूल रूप से वह राजपुर विधानसभा, सिकंदरा (कानपुर देहात) के रहने वाले थे जो दोनों तरफ से यमुना नदी और सेंगुर नदी के बीहड़ों से घिरा हुआ है। 1984-85 में इनके पिता जी ने यहीं से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी, तब से वह पिता जी के कार्यों में मदद किया करते थे। इनके पिता ने सिकंदरा के लिए बहुत कार्य किया था और सत्यवीर सिंह उनके सपनों को आगे बढ़ाना चाहते थे राष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान में बेरोजगारी, आतंकवाद, सामाजिक असमरसता मुख्य मुद्दें वह समझते थे उनका मानना था कि शिक्षा का प्रसार ठीक प्रकार से न हो पाने से भी लोगों में समझ कम है, जिसके चलते जागरूकता कार्य को ओर अधिक बढ़ाना चाहते थे ।
चौधरी सत्यवीर जी मानते थे कि देश की स्थिति को सुधारने के लिए पड़ोसी देशों के साथ मित्रता को बढ़ाने का कार्य करना होगा। छोटे पड़ोसी राष्ट्रों के साथ मदद के लिए आगे आना होगा। वे चाहते थे कि सरकार को इसके लिए एक नीति बनानी चाहिए। देश को पूर्णतः अपने आपसी संबंधों पर ध्यान देना होगा, तभी देश का कल्याण हो सकता है पर आज वो हमारे बीच नहीं रहे