संवाद।। शोजब मुनीर
अलीगढ़। पिछले कई वर्षों से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की सुप्रीम गवर्निंग बॉडी एएमयू कोर्ट में सौ से अधिक पदों के साथ ही अकादमिक काउंसिल और ईसी में कई पद रिक्त होने से न केवल छात्रों में बल्कि शिक्षकों में भी काफी नाराजगी है। पहले भी छात्र संविधान का पालन करते हुए लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत चुनाव कराने की कोशिश करते रहे हैं और अब एएमयू शिक्षक संघ भी मैदान में उतरता दिख रहा है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पिछले कई वर्षों से एएमयू कोर्ट, अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद में विभिन्न श्रेणियों के तहत सीधे निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं, क्यों? मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन चुनाव कराने को लेकर गंभीर नहीं है। वहीं एएमयू कोर्ट में लोकसभा सदस्यों का चुनाव हो रहा है, जबकि शिक्षक, छात्र और गैर-शिक्षण कर्मचारी प्रतिनिधियों की सीटें पिछले छह वर्षों से खाली हैं, जिससे साबित होता है कि एएमयू प्रशासन खुद चुनाव को लेकर गंभीर नहीं है। ये विचार एएमयू शिक्षक संघ और कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने स्टाफ क्लब में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में व्यक्त किए।
पत्रकारों से बातचीत में अमुटा अध्यक्ष प्रोफेसर मुहम्मद खालिद ने विश्वविद्यालय प्रशासन की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि एएमयू में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एएमयू को ‘मिनी इंडिया’ कहा था, लेकिन यहां लोकतांत्रिक स्थिति काफी खराब है। जब तक एएमयू में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल नहीं होगी, पारदर्शिता नहीं आएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि एएमयू प्रशासन ने शीघ्र चुनाव नहीं कराए तो शिक्षक भूख हड़ताल व धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।

इस बीच पत्रकारों से बातचीत करते हुए एएमयू सचिव ओबैद अहमद सिद्दीकी ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि एएमयू प्रशासन चुनाव कराने को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि एएमयू कोर्ट में विभिन्न श्रेणियों में शिक्षक, छात्र प्रतिनिधि, गैर-शिक्षण कर्मचारियों के निर्वाचित प्रतिनिधि और बाहरी शिक्षाविद् शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 194 सीटों वाले इस निकाय में शिक्षकों और छात्रों का प्रतिनिधित्व करने वाली सौ से अधिक सीटें खाली पड़ी हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन पिछले 6 वर्षों से यानी 2017 से उन पर चुनाव नहीं करा रहा है।
उन्होंने कहा कि एमएलसी, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और एएमयू के पूर्व कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर के कार्यकाल के दौरान भी चुनाव नहीं हुए और उनके कार्यकाल में एक साल का विस्तार भी दिया गया, लेकिन रिक्त पदों को नहीं भरा गया।
उसके बाद कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर मुहम्मद गुलरेज़ के कार्यकाल में भी कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई और अब नियमित कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून के कार्यकाल के एक वर्ष बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन एएमयू कोर्ट के सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद नए सदस्यों का चुनाव किए बिना पुराने सदस्यों में से ही कुलाधिपति और कोषाध्यक्ष का चुनाव करने की योजना बना रहा है। इससे एएमयू शिक्षक संघ में गहरा असंतोष है। शिक्षकों का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया अलोकतांत्रिक और पारदर्शिता के खिलाफ है।
एएमयू इसी मेंबर प्रोफेसर मोइनुद्दीन ने कहा कि पिछले पांच-छह वर्षों से अकादमिक परिषद में भी शिक्षक नहीं चुने गए हैं। उन्होंने कहा कि एएमयू एक्ट में सभी पदों का स्पष्ट उल्लेख है और इन्हें भरने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को चुनाव कराना जरूरी है। लेकिन एएमयू प्रशासन जानबूझकर चुनाव नहीं करा रहा है ताकि शिक्षक और छात्र अपने अधिकारों के लिए आवाज न उठा सकें।
प्रेस कांफ्रेंस में शिक्षकों ने यह सवाल भी उठाया कि जब भारत सरकार ने अपने नामित सदस्यों की रिक्त सीटें भर दी हैं तो एएमयू प्रशासन शिक्षकों, छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की सीटें भरने में देरी क्यों कर रहा है? एएमयू कार्यकारी परिषद के सदस्य मुहम्मद मुराद ने कहा कि एएमयू कोर्ट और अकादमिक परिषद जैसी लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने मांग की कि एएमयू कोर्ट की बैठक तुरंत बुलाई जाए और रिक्त सीटों पर चुनाव कराए जाएं।