वर्ल्ड डिज़ाइनिंग फोरम द्वारा ताज महोत्सव में आयोजित “धरोहर” कार्यक्रम में भारतीय सांस्कृतिक धरोहर और सदियों पुरानी परम्परा का दिखा अनूठा संगम
आगरा। आंध्र की 1920 के दशक में प्रचलित मंगलगिरी विंटेज कॉटन साड़ी, मंगलगिरी सिल्क साड़ी और निवी स्टाइल ड्रेपिंग के साथ हमारे पूर्वजों द्वारा पहनी जाने वाली पोंधुरी कॉटन धोती सेट भारतीय संस्कृति और फैशन को मानो ताज महोत्सव में सजे रैम्प पर एक बार फिर जीवन्त कर दिया। जहां भारत के हर प्रांत के पारम्परिक परिधान एक नए दाज और लुक में चकाचौध रोशनी के साथ अपने रंग बिखेर रहे थे। जहां कश्मीर का शाही पश्मीना, सोज़नी कढ़ाई कश्मीर की पारंपरिक पश्मीना शॉल और उस पर की गई सोज़नी कढ़ाई ने अपनी बारीकी और सुंदरता दर्शकों का मन आकर्षित करने में सफल रही वहीं आज के पटियाला ड्रेस के दौर में कहीं गुम हो रही पंजाब के पारम्परिक शरारा को भी फैशन की धारा में जोड़ने का प्रयास नजर आया।
वर्ल्ड डिजायनिंग फोरम (डब्ल्यूडीएफ) द्वारा आज ताज महोत्सव में मुख्य मंच पर धरोहर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें फैशन शो के माध्यम से भारत के विभिन्न राज्यों के डिजाइनरों ने अपनी संस्कृति और पारंपरिक परिधानों की खूबसूरती को जीवंत किया। जिसमें भारत के विभिन्न प्रांतों के 50 से अधिक प्रसिद्ध फैशन डिज़ाइनरों और मॉडलों ने भाग लिया। शुभारम्भ केन्द्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। वर्ल्ड डिजायनिंग फोरम के निदेशक अंकुश अनामी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक कला को समकालीन डिज़ाइन के साथ जोड़कर एक नई पहचान देने का कार्य करता है।
कार्यक्रम में कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना के पारंपरिक वस्त्रों और सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत किया गया। ओडिशा की अनमोल धरोहर ओडिशा से पटचित्रा कला और सम्बलपुरी बुनाई को प्रस्तुत किया गया, जो यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। महाराष्ट्र का मराठा वैभव गरिमा कुलश्रेष्ठ ने मराठा संस्कृति को जीवंत करते हुए पैठनी साड़ी के साथ भव्य प्रस्तुति दी, जिसने महाराष्ट्र की पारंपरिक खूबसूरती को बखूबी दर्शाया।
राजस्थान की हस्तकला की झलक ऋतु अरोड़ा ने सांगानेरी ब्लॉक प्रिंटिंग और अप्लीक वर्क को शोकेस किया, जिसे स्थानीय कलाकारों द्वारा हाथ से बनाया गया था। पश्चिम बंगाल का लाल-सफेद सौंदर्य अर्पिता घोष ने कोलकाता की सांस्कृतिक विरासत को लाल और सफेद रंग में दर्शाया और साथ ही हस्तकला कौड़ी वर्क को भी मंच पर उतारा।
शुभारम्भ में मां गंगा की पवित्रता और समापन में झलकी कुम्भ की सनातनी परम्परा
कार्यक्रम का शुभारम्भ तमिलनाडु की गंगा थीम और सांस्कृतिक परिधान कविता सेंथुराज ने गंगा थीम के साथ किया। धवल श्वेत परिधान के साथ रितु सुहास जब रैम्प पर उतरी को गंगा की पावनता नजर आयी। इसके अलावा, तमिलनाडु के पारंपरिक परिधानों को भी शो में प्रदर्शित किया गया, जो विशेष अवसरों पर पहने जाते हैं। वहीं कार्यक्रम के समापन पर कुंभ थीम और भगवान शिव की अद्भुत झलक गरिमा कुलश्रेष्ठ द्वारा प्रस्तुत कुंभ थीम ने साधु, रुद्र और भगवान शिव की दिव्यता को दर्शाया, जिसने दर्शकों को आध्यात्मिक अनुभूति कराई।