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संकल्प दिवस: मोदी सरकार में ही POJK की वापसी संभव – डॉ. जितेंद्र सिंह

नेहरू की गलतियों का खामियाजा भुगत रहा है देश

नई दिल्ली । इंडियन सोसाइटी ऑफ़ इंटरनेशनल लॉ सभागार में शुक्रवार की शाम जम्मू कश्मीर पीपल्स फोरम और मीरपुर POJK बलिदान समिति द्वारा आयोजित POJK संकल्प दिवस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर (POJK) भारत के इतिहास, तत्कालीन नेहरू सरकार और उनकी विदेश नीति की सबसे बड़ी विफलता का उदाहरण है। उन्होंने पंडित नेहरू की नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि नेहरू स्वयं को शांति का सबसे बड़ा मसीहा मानते थे, जिसके कारण उन्होंने एक नहीं बल्कि कई गलतियां कीं, जिनका खामियाजा आज पूरा देश भुगत रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट कहा कि भारत का विभाजन देश के इतिहास का सबसे बड़ा ब्लंडर था, जिसे सिर्फ दो व्यक्तियों – नेहरू और जिन्ना – की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किया गया। उन्होंने कहा कि जब भारतीय सेना मीरपुर तक पहुंचकर अपनी भूमि को मुक्त करा रही थी, तभी सीजफायर की घोषणा कर दी गई, और वहीं से POJK की समस्या पैदा हुई। इस मुद्दे को UN में ले जाकर नेहरू ने ऐतिहासिक भूल की, जिसके कारण आज तक भारत अपनी जमीन वापस नहीं ले सका। उन्होंने कहा कि अगर नेहरू ने उस समय सीजफायर नहीं किया होता और UN नहीं गए होते, तो आज POJK पूरी तरह से भारत का हिस्सा होता।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देते हुए कहा कि POJK, POTL और COTL भारत का अभिन्न अंग हैं और रहेंगे। मोदी सरकार इस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह वापसी सिर्फ और सिर्फ मोदी सरकार में ही संभव है। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 की समाप्ति भी असंभव मानी जाती थी, लेकिन मोदी सरकार ने इसे संभव कर दिखाया। इसी तरह, POJK की वापसी के लिए भी सरकार पूरी तरह तैयार है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भाजपा ने अपनी तीन पीढ़ियों को इस संकल्प के लिए खपाया है और आगे भी इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संकल्पबद्ध है।
POJK की वापसी अब समय की बात: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
कार्यक्रम में भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने संसद द्वारा पारित संकल्प प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए कहा कि जब आर्टिकल 370 हटाने की बात होती थी, तब कहा जाता था कि यह कभी संभव नहीं होगा। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने इसे कर दिखाया। आज कोई भी राजनीतिक दल आर्टिकल 370 की बहाली की बात करने की हिम्मत तक नहीं कर सकता।
उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के संसद में दिए बयान को याद करते हुए कहा कि पहली बार संसद में किसी ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा था, है और रहेगा, और हम इसे वापस लाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। तुषार मेहता ने आगे कहा कि वर्तमान में पाकिस्तान अपने इतिहास की सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। POJK में मूलभूत आवश्यकताओं की भारी कमी है – वहां लोगों को आटा तक नहीं मिल रहा है, बेरोजगारी 35% से अधिक हो चुकी है, और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद जो अभूतपूर्व विकास हुआ है, उसे देखकर अब POJK के लोग भी भारत के साथ जुड़ना चाहते हैं। आने वाले समय में ऐसा भी हो सकता है कि POJK के लोग खुद ही भारत में शामिल होने के लिए आंदोलन शुरू कर दें। तुषार मेहता ने कहा कि सबसे पहले पाकिस्तान द्वारा दिए गए ‘आजाद कश्मीर’ (AJK) जैसे छद्म नामों को हटाने की जरूरत है। उन्होंने सभी देशवासियों से अपील की कि वे विकिपीडिया और अन्य मंचों पर जाकर ‘आजाद कश्मीर’ शब्द हटवाएं और सही नाम POJK का उपयोग करें।
भारत का संकल्प: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के अवैध कब्जे से मुक्ति
क्या आप जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का एक बड़ा हिस्सा आज भी पाकिस्तान और चीन के अवैध कब्जे में है? 1947 में स्वतंत्रता के समय जम्मू-कश्मीर का कुल क्षेत्रफल 2,22,236 वर्ग किलोमीटर था, जिसमें जम्मू, कश्मीर, लद्दाख और गिलगित शामिल थे। वर्तमान में इसका 54.4% हिस्सा यानी 1.21 लाख वर्ग किमी पाकिस्तान और चीन के अवैध कब्जे में है।
पंडित नेहरू की गलत नीतियों के कारण 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया था। महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को भारत में विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई शुरू की। लेकिन नेहरू के संयुक्त राष्ट्र में मामला ले जाने और 1 जनवरी 1949 को युद्धविराम की घोषणा के कारण जम्मू-कश्मीर का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे में रह गया। इसी तरह, 1962 के युद्ध में चीन ने लद्दाख के अक्साई चिन क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और पाकिस्तान ने 1963 में 5,180 वर्ग किमी का क्षेत्र चीन को सौंप दिया।
POJK नरसंहार: एक भुलाया गया इतिहास
पाकिस्तान का आक्रमण सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि यह हिंदू और सिख समुदाय के लोगों के खिलाफ एक सुनियोजित नरसंहार था। मीरपुर, मुज़फ्फराबाद, कोटली, राजौरी और बारामूला जैसे स्थानों पर हजारों निर्दोष लोगों की हत्या की गई। महिलाओं का अपहरण और शोषण किया गया, हजारों को जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया।
मुख्य नरसंहार:
मीरपुर नरसंहार (1947): 20,000 से अधिक हिंदू-सिख मारे गए, 3500 से अधिक बंधक बनाए गए।
राजौरी नरसंहार: 10-12 नवंबर 1947 के बीच कम से कम 30,000 हिंदू-सिखों का कत्लेआम किया गया।
बारामूला नरसंहार: पाकिस्तानी सैनिकों ने हिंदू बहुल गांवों में लूटपाट, आगजनी, बलात्कार और हत्याएं कीं।
POJK विस्थापितों का संघर्ष: लाखों हिंदू-सिखों को विस्थापित होना पड़ा, जो आज भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
POJK, POTL और COTL: भारत की संप्रभुता का अभिन्न अंग
1. POJK (Pakistan-Occupied Jammu & Kashmir) – 13,297 वर्ग किमी
पाकिस्तान ने 1947-48 में इस क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर लिया, जिसमें मीरपुर और मुज़फ़्फराबाद शामिल हैं।
2. POTL– 67,791 वर्ग किमी
गिलगित-बल्तिस्तान का यह सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र पाकिस्तान अवैध रूप से कब्जे में रखे हुए है।
3. COTL  – 42,735 वर्ग किमी
1962 में चीन ने अक्साई चिन समेत 37,000 वर्ग किमी पर कब्जा कर लिया और पाकिस्तान ने 5,180 वर्ग किमी चीन को सौंप दिया।
POJK सिर्फ एक क्षेत्रीय विवाद नहीं, बल्कि भारत की अखंडता और संप्रभुता का प्रश्न है। मोदी सरकार इस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। देशवासियों को भी इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि भारत अपने भूभाग को पुनः प्राप्त कर सके और इतिहास की गलतियों को सुधारा जा सके।