मुंगेर/भागलपुर: प्रो राशिद तराज के असामयिक निधन पर मुंगेर यूनिवर्सिटी,मुंगेर के पीजी उर्दू विभाग में शोक सभा हुई, जिसकी अध्यक्षता डीएसडब्ल्यू मुंगेर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ.भावेश चंद पांडे ने की। इस मौके पर स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के डॉ शिव कुमार मंडल, स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के प्रोफेसर जीसी पांडे, स्नातकोत्तर उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो डॉ शाहिद रजा जमाल (शाहिद रज़मी) और अन्य के नाम उल्लेखनीय हैं।
इस अवसर पर उर्दू विभाग की शिक्षिका डॉ. जकिया तस्नीम, डॉ. जैन शम्सी, हिंदी शिक्षक डॉ. अवनीश पांडे सहित उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी एवं इतिहास विभाग के दर्जनों छात्र एवं छात्राएं उपस्थित थे, जिनमें मुहम्मद जिम्मी, मुहम्मद अफजल,औरंगजेब आदि उल्लेखनीय हैं।

दिवंगत प्रोफेसर राशिद तराज को श्रद्धांजलि देते हुए प्रोफेसर डॉ. शाहिद रज़मी ने कहा कि भले ही दिवंगत राशिद तराज कम बोलने वाले व्यक्ति थे, लेकिन उनके कलम की आवाज़ की गूंज दूर तक जाती थी और यही कारण है कि एक के बाद एक उनके सात कविता संग्रह प्रकाशित हुए और ‘फासले मुख्तसर हुए’ नामक एक आत्मकथा भी उनकी रचनात्मकता का प्रमाण है।

प्रो डॉ भावेश चंद पांडे ने कहा कि प्रो तराज एक महान लेखक और कवि के साथ-साथ बहुत ही सरल हृदय व्यक्ति थे और वह हमें बहुत सम्मान देते थे।
डॉ शिव कुमार मंडल ने कहा की दिवंगत प्रोफेसर तराज स्नातकोत्तर उर्दू विभाग के पहले अध्यक्ष और आर डी एंड डीजे कॉलेज के उर्दू विभागाध्यक्ष थे। उनकी स्मृति हमेशा शेष रहेगी।
जबकि प्रोफेसर डॉ जी सी पांडे ने कहा कि हमें प्रो तराज से इंसानियत की शिक्षा लेनी चाहिए कि रचनाकार को कैसा होना चाहिए।
शोक सभा के अंत में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें सामूहिक श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।