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होली पर मिलावट का बाजार, सिस्टम लाचार त्यौहार की मिठास में खुलेआम बिक रहा ज़हर


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। होली का रंग-बिरंगा त्योहार आते ही शहर से लेकर गांवों तक बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। मिठाइयों, नमकीन और अन्य खाद्य पदार्थों की मांग में जबरदस्त उछाल आया है, लेकिन इसी के साथ मिलावटखोरी का खेल भी तेज हो गया है।बांदा की मशहूर दुकानों को छोड़ कर अन्य अधिकांश दुकानों में मिलावटी मावा, सिंथेटिक दूध, नकली घी और हानिकारक रंगों से बनी मिठाइयां धड़ल्ले से बेची जा रही हैं, जिससे लोगों की सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।


होली पर गुझिया, मठरी, पापड़, नमकीन और तरह-तरह की मिठाइयों की मांग सबसे अधिक होती है। अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में कुछ व्यापारी नकली मावा और घटिया क्वालिटी के खाद्य तेलों का इस्तेमाल कर मिलावटी उत्पाद तैयार कर रहे हैं।
त्यौहार पर बाजार में मिलावटी उत्पादों में सिंथेटिक मावा, नकली दूध, घटिया घी और तेल, रंगीन मिठाइयां तथा मिलावटी नमकीन और पापड़ की बिक्री जोरो पर है ।


प्रशासन हर साल त्योहारों पर मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई के दावे करता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इस बार भी खाद्य सुरक्षा विभाग की लचर व्यवस्था के चलते अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। अधिकारी छापेमारी और सैंपलिंग की खानापूर्ति कर रहे हैं, जबकि मिलावटखोर बेखौफ होकर अपना कारोबार चला रहे हैं। होली के त्योहार को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने के लिए प्रशासन को कड़े कदम उठाने होंगे। मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है ताकि लोग बिना किसी डर के शुद्ध और सुरक्षित मिठाइयों का आनंद उठा सकें।