बच्चों के परिजनों ने रोजा रखने पर उन्हें ढेर सारी मुबारकबाद दी
संवाद।। तौफीक फारूकी
फर्रुखाबाद. खुदा से प्रेम करने और उसकी इबादत की कोई उम्र नहीं होती. रमजान माह में रोजेदार रोजा रखकर खुदा की इबादत कर रहे हैं. इन्हीं रोजेदारों में एक (4) साल 4 महीना का मासूम बच्चा भी शामिल है. फर्रुखाबाद जिले जहानगंज क्षेत्र के जरारी गांव का रहने वाला 4 साल का मासूम हमजा अशरफ ने पहला रोजा रखा है. वे रोजा रखकर, नमाज अदा कर खुदा से देश में अमन चैन की दुआ कर रही हैं. मासूम बच्चों का इस इबादत को देखकर लोग उसकी तारीफ कर रहे हैं. अपने पहले रोजे को लेकर हमजा अशरफ ने बताया कि रोजा रखकर उन्होंने खुदा से दुआ मांगी है कि देश-दुनिया में अमन शांति कायम रहे.

जहां बड़ों ने रोजा रखाकर शाम को इफ्तारी की तो वहीं इस नन्हें—मुन्ने बच्चे भी पीछे नहीं रहें। बच्चों ने भी दिनभर रोजा रखकर अल्लाह की इबादत में मशगूल रहे और पांचों वक्त की नमाज भी अदा की
जिसपर बच्चों के परिजनों ने रोजा रखने पर उन्हें ढेर सारी मुबारकबाद दी
रोजा इफ्तार पर मांगी देश की खुशहाली की दुआ ताकि देश में अमन-चैन कायम रहे
बड़े उम्र के लोग ही बड़ी मुश्किल से रोजा रख पाते हैं. ऐसे में इस बच्चें ने बुलंद हौंसला तारीफ के काबिल है. हमजा रोजा रखने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखे हुए हैं. हमजा अशरफ ने कहा कि मुझे खुदा की इबादत पसंद है. मैंने अम्मी-अब्बू से इबादत की प्रेरणा ली है. उन्होंने बताया कि इबादत करने से हमें तो खुशियां हासिल होती ही है, साथ ही दूसरे लोगों का भी भला होता है. इसलिए जैसा वो करते हैं वैसा मैं भी करती हूं.
हमजा अशरफ के पिता मुफ्ती अब्दुल मुईद अजहरी कहते हैं कि जिस तरह से बड़े रोजा रखते हैं और इबादत करते हैं उसी तरह से मेरे बेटे ने ने भी पहला रोजा रख खुदा की इबादत की है. अल्लाह की इबादत के सामने भूख-प्यास कुछ भी नहीं है इस्लाम में रोजा रखना एक महत्वपूर्ण फर्ज माना जाता है।