दिल्ली। मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन (MAEF) को बंद होने से रोकने के लिए पूर्व राज्य अल्पसंख्यक अध्यक्ष अशफाक सैफी ने कैबिनेट मंत्री किरेन रिजिजू से अपील करते की है। उन्होंने अपने अपील वाले पत्र में कहा है कि तत्कालीन मंत्री रिजिजू ने जब से मंत्रालय का कैबिनेट मंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया है तब से मंत्रालय आगे अप्रसित है तथा समाज में आपके द्वारा किये जा रहे कार्य प्रशंसनीय हैं।
मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन (MAEF) जो समाज के शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को शिक्षा प्रदान करने के लिए समर्पित एक प्रतिष्ठित संस्था है। उसे प्रशासनिक कारणों से मंत्रालय द्वारा बंद कराया जा रहा है जो कि एक अत्यधिक चिंता का विषय है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए 15 सूत्रीय कार्यक्रम लागू करा रहे हैं। जिनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छह केंद्रीय रूप से अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के वंचित और कमजोर वर्गों को विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का समान अवसर मिले और वे देश के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दे सकें।
प्रधानमंत्री के “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” के दृष्टिकोण के अनुरूप, 1989 को स्थापित होने के बाद से, मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन समाज में शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए विशेष रूप से 6 अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों (सिख, बौद्ध, जैन, मुस्लिम, ईसाई और पारसी) और अन्य कमजोर वर्गों के लिए प्रतिबद्ध रही है,।
मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं ने हाशिए पर मौजूद समुदायों के हजारों वंचित बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है और उनके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं। मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन की प्रमुख योगदान और उपलब्धियाँः
- अनुदान सहायता योजना (Grant-in-Aid Scheme):
यह योजना 1989-1990 में शुरू की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को उनके द्वारा संचालित संस्थानों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सहायता प्रदान करना है।इस योजना के तहत, अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित शैक्षिक संस्थानों के निर्माण/विस्तार और विज्ञान/कंप्यूटर लैब उपकरण/फर्नीचर की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना से 1500 से अधिक गैर-सरकारी संगठन (NGO) लाभान्वित हुए है। इस योजना से सभी समुदायों के छात्रों को बेहतर सुविधाएं और शिक्षा प्राप्त करने का आवसर मिला है।
बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृति योजना (MNS):
यह पोजाना 3 मई 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों की मेधावी छात्राओं के लिए शुरू की गई थी।मौलाना आकद एजुकेशन फाउंडेशन कक्षा वीं से 10वीं के लिए प्रत्येक छात्रा को ₹5000/- और कक्षा 11वीं से 12वीं के लिए 6000/- छात्रवृति प्रदान करता है।2003-04 से अब तक 12.88.954 छाओं को 84 करोड़ की छात्रवृति दी जा चुकी है। यह योजना 2021-22 से पोर्टल पर का मिशन कैबिनेट सचिवालय द्वारा संचालित की जा रही है।
गरीब नवाज़ रोजगार योजना (GNES):
यह योजना 2017-18 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के बेरोजगार युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करना और उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।इस योजना के तहत, प्रशिक्षुओं को तीन महीने तक प्रति माह 1500/- की छात्रवृत्ति दी जाती है। इस योजना के तहत, पूरे देश में 50,000 से अधिक प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया गया है, जिनमें से 50% महिलाएँ है।
राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान और हुनर हब (अलवर, राजस्थान) मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों के लिए शैक्षिक योजनाओं को तैयार करना और लागू करना है।राजस्थान सरकार ने अतवर जिले में 25 एकड़ भूमि १० वर्ष की लीज पर उपलब्ध कराई है, जहाँ एक विश्व स्तरीय अनुसंधान केंद्र, प्रयोगशालाएँ, पुस्तकालय और खेत सुविधाओं सहित उच्च शिक्षा संस्थान स्थापित किया जाएगा।
मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के संभावित बंद होन से समाज और फाउंडेशन द्वारा सेवित व्यक्तियों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा, इसमें कार्यरत कर्मचारियों नियमित कर्मचारी, गजट अधिसूचना के तहत 5 वर्षों के लिए नियुक्त कर्मचारी और 31 अल्पकालिक संविदा कर्मचारी) के रोजगार पर भी संकट आएगा।