संवाद।।शरद मिश्रा
बांदा। आयुर्वेद की “नकली दवाओं का भी यहां बाजार गर्म” है पर विभागीय सरकारी “अफसरान रहम दिली का रिकार्ड” सा बना रहे है। लगभग एक साल से ‘आश्चर्य जनक खामोशी”है। आयुर्वेद की 10 दवाएं नकली और 22 दवाओं में एलोपैथिक दवाओं की मिलावट पाए जाने पर प्रदेश के आयुर्वेद निदेशक ने इन सभी 32 दवाओं की बिक्री लगभग दस माह पहले रोक लगा दी थी। चित्रकूट मंडल में भी यह आदेश लागू करते हुए दुकानों में जांच पड़ताल के निर्देश थे जो हवा हवाई साबित हुये।
निदेशक ने यहां भेजे पत्र में कहा था की 32 दवाओं के उत्पादन, परिवहन एवं बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। बताया कि विभिन्न जनपदों से लिए गए नमूनों में ज्वाला दाद, रूमो प्रवाही, सुंदरी कल्प सीरप, त्रयोदशांक गुग्गुल, वेदान्तक बटी, एसीन्यूट्रा लिक्विड, आंवला चूर्ण, सुपर सोनिक कैप्सूल, बोस्टा- 400 टेबलेट एवं बायना प्लस कैप्सूल नकली पाए गए हैं।
इनके अलावा मिलावटी दवाओं मे विश्वास गुड हेल्थ कैप्सूल आयुर्वेदा में बीटा मैथोसीन, पेननिल चूर्ण में आइबोप्रोफेन, एज-फिट चूर्ण में बीटामैथासोन, अर्मत आयुर्वेदिक चूर्ण में प्रेडनिसोलोन, स्लीमेक्स चूर्ण में प्रेडनिसोलोन, दर्द मुक्ति चूर्ण मे डाइक्लोफेनिक, आर्थोनिल चूर्ण में डाइक्लोफेनिक आइबोप्रोफेन, योगी केयर में बीटामैथासोन, माइकान गोल्ड कैप्सूल में प्रेडनिसोलोन, डाइबियंट शुकर केयर टैबलेट मे ग्लीम्पैराइड, हाई पावर मूसली कैप्सूल में सिलिडिनाफिल. डाइबियोग केयर मे ग्लीम्पैराइड, झंडू लालिमा ब्लड एंड रिकन प्यूरिफायर मे फ्लेवरड सीरप बेस आदि की मिलावट मिली है। सिस्टोन सीरप शुगर की मात्रा 40 प्रतिशत से अधिक, लिव-52 में शास्त्रीय औषधि मंडूर भस्म का मिश्रण मिला है।
इन्हीं परस्थितियों में क्षेत्रीय आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी को मेडिकल स्टोरों पर निरीक्षण के आदेश दिये गये थे। लेकिन”लगभग नौ माह बाद भी खामोशी क्यों”? यह रहस्य के आवरण में है।