उत्तर प्रदेश

माहे-रमजान में नेकी के बदले मिलता है 70 नेकियों का सवाब

रोजेदार को एक घूंट पानी पिलाना कई गुना सवाब

संवाद।।  तौफीक फारूकी

मुसलमानों के लिए 5 फर्ज बताए गए हैं, जिनमें कलमा, नमाज, जकात, रोजा और हज शामिल है. इस्लाम को मानने वाले हर शख्‍स के लिए रोजा रखना बेहद जरूरी है. इसे रमजान का चांद दिखने से लेकर ईद का चांद दिखने यानी अगले 29 या 30 दिनों तक रखने का हुक्म कुरान में दिया गया है. रोजा सब्र और परहेजगारी के लिए जरूरी है. ताकि इंसान खुदा की दी हुई चीजों की एहमियत समझ सकें. गरीबों को सदका, फितरा और जकात (दान) करें.

कमालगंज कस्बे की जामा मस्जिद के मौलान मोहम्मद तारिक ने बताया कि खुदा का एहसान और शुक्र है कि उन्होंने हमें रमजान का महीना अता फरमाया है. यह महीना बहुत ही मुबारक महीना है. इस मुबारक महीने में अल्लाह ताला बंदों के रिज्क (रोजगार) को कई गुना बढ़ा देते हैं कहा कि रोजे का मुख्य उद्देश्य मन को पवित्र करना है। रोजे में सिर्फ भूखे रहना ही नहीं है। जैसे खाने से मुंह और पेट को बचाते हैं, वैसे ही हाथ, पैर, आंख और कान को भी गुनाहों से बचाना जरूरी है।

कमालगंज ग्राम प्रधान अनवर हुसैन उर्फ चंदा फौजी ने बताया कि अगर कोई शख्स खुदा की राह में इस मुबारक महीने में 1 रुपये खर्च करता है, तो उसको अल्लाह ताला 70 गुना अता फरमाते हैं. इसीलिए रमजान के महीने में सवाब कई गुना बढ़ा दिया जाता है. उन्होंने बताया कि एक महीने का रोजा इंसान को गरीबों की भूख का एहसास कराता है जैसे जकात धन को पवित्र करती है, वैसे ही रोजा मन को पवित्र करता है। अल्लाह की इच्छा है कि जिस तरह एक मुसलमान रमजान में गुनाहों से दूर रहता है, वैसे ही पूरे साल रहे।

हफीजुल रहमान उर्फ चदा भाई ने कहा कि जब मन पवित्र होगा, तो इंसान का हर काम अच्छा होगा। वह दुनिया के किसी भी कोने में रहे, इंसानियत के साथ अच्छा व्यवहार करेगा। रोजेदारों से भरा समाज भूखों को खाना खिलाने की तरफ अग्रसर होगा और भुखमरी जैसी समस्याएं खत्म होंगी। रमजान का पाक महीना आता है तो खुदा बेशुमार रहमतें और नेमतें लेकर आता है. रमजान-उल मुबारक का पाक महीना चल रहा है. जिसको लेकर मुस्लिम लोग रोजा रखते हुए खुदा की इबादत में मशगूल हैं