संवाद।। तौफीक फारूकी

आगरा। माह-ए-रमजान में हर मुसलमान का सिर सजदे में झुकता है और हाथ दुआ को उठते हैं। रोजेदार इबादत करते हैं और अल्लाह अपने बंदों पर ‘रहमत’ नाजिल फरमाता है। इस पवित्र महीना में अल्लाह बंदों के गुनाहों को पस्त कर नेकियां खाते में जोड़ता है रमजान पवित्र महीने में दुनियाभर के मुसलमान रोज़ा रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं. रमजान के बाद ईद का त्यौहार मनाया जाता है. इस महीने में लोग ना सिर्फ़ रोज़ा रखते हैं बल्कि सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत भी करते हैं.

वही आगरा एतमादुद्दौला मोती बाग यमुना ब्रिज के रहने वाले मोहम्मद इरशाद फारूकी ने बताया कि रमजान बरकतों वाला महीना होता है. अल्लाह इस महीने में अपनी रहमत बरसाते हैं. इस महीने में अल्लाह गुनाह माफ़ करते हैं, दुआएं कबूल करते हैं और फरिश्तों को हुक्म देते हैं कि रोज़ा रखने वालों की दुआ पर आमीन कहो. जो भी सच्चे दिल से अल्लाह की रज़ा के लिए रोज़ा रखता है, अल्लाह उसके सारे गुनाह माफ़ कर देते हैं. उन्होंने कहा कि इस महीने में मुसलमानों को गरीबों और ज़रूरतमंदों का खास ख्याल रखना चाहिए.

मोहम्मद इरशाद फारूकी ने कहा कि रमजान में इबादत करने के अधिक अवसर मिलते हैं. इस पाक महीने में जहां तक संभव हो झूठ बोलने, धोखा देने, बेईमानी करने से बचना चाहिए. रमजान संगीत से दूरी बनाए रखने की हिदायत देता है. अमीर-गरीब का फर्क मिटाता है. करोड़पति और उसका नौकर एक साथ एक ही पंक्ति में खड़े होकर नमाज पढ़ते और रोजा खोलते हैं. कहा जाता है कि इस पाक महीने में की गई इबादत का फल यानी सवाब कई गुना ज्यादा हासिल होता है.