उत्तर प्रदेश

जेल में इंडियन आइडियल की तर्ज पर कैदियों के बीच कॉम्पटिशन

रायबरेली।दुख को कम करने के लिए संगीत साधन ही नहीं है बल्कि के संगीत के जरिए भटके हुए लोगों को रास्ता भी मिलता है।उत्तर प्रदेश के रायबरेली जेल में कैदियों को सही रास्ता दिखाने के लिए संगीत को जरिया बनाया गया है।इंडियन आइडियल की तर्ज पर जेल आइडियल शुरू किया है।इसमें कैदियों को संगीत की शिक्षा दी जा रही है।जेल प्रशासन ने लाखों रुपये का साउंड सिस्टम लगवाया है।हर रविवार को कैदियों को संगीत की शिक्षा दी जा रही है।

रायबरेली जेल में कैदियों को सुधारने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कार्यक्रम चल रहे हैं।मिट्टी के बर्तनों को डिजाइन करने वाले कैदी अब संगीत के जरिए आत्म निर्भर बन रहे हैं,जिससे बाहर निकलने के बाद वो अपनी नई जिंदगी की शुरुआत नए सिरे से शुरू कर सके।

कैदियों को संगीत के जरिए आत्मनिर्भर बनाने का काम पूर्व जेल अधीक्षक अमन सिंह ने शुरू किया।इसके लिए पूर्व विधायक समाजसेवी सुरेंद्र सिंह ने भी जेल अधीक्षक का साथ दिया।सुरेन्द्र सिंह ने महंगा म्यूजिक सिस्टम जेल को दान दिया,म्यूजिक सिस्टम लगने के बाद कैदी फारुख,आजम, अनुज,दीपक,विकास,रोहित समेत 19 कैदी संगीत सीख रहे हैं।कैदियों के गीत लोगों को प्रेरित नहीं कर रहे बल्कि अन्य कैदियों को निखार भी रहे हैं।जेल अधीक्षक अमन सिंह के तबादले के बाद अब न‌ए‌ जेल अधीक्षक प्रभाष कुमार इस अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।

संगीत के जरिए कैदियों की दिनचार्या भी बदल रही है।रविवार को आयोजित होने वाले जेल आइडियल कार्यक्रम के लिए कैदियों को जब भी समय मिलता है वे अपनी बैरक में रियाज करते हैं,इनमें निखार भी आ रहा है।इसके लिए जेल प्रशासन उन्हें प्रेरित करता है।

जेल अधीक्षक प्रभाष कुमार सिंह ने बताया कि जेल में बंदियों को सुधारने के साथ ही आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है,जो बंदी संगीत से जुड़ना चाह रहे हैं उनें संगीत की शिक्षा भी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि जेल आइडियल के माध्यम से बंदियों की प्रतिभा को निखारने का काम किया जा रहा है।उनका उद्देश्य है कि कैदी बाहर निकलने के बाद सामान्य जीवन जी सकें।

बता दें कि कैदियों को संगीत सीखने वाली प्रदेश की यह शायद पहली जेल है।यहां कैदियों को उनके मन माफिक संगीत के गुर सिखाए जाते हैं,जिससे बाहर निकलने के बाद वह अपने हिसाब से संगीत के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकें।