उत्तर प्रदेश

अयाज़ खान अच्छू का बूथ स्तर से राष्ट्रीय नेतृत्व तक का सफर

अयाज़ खां “अच्छू” का जन्म 1 जुलाई 1960 को बाराबंकी अब अयोध्या जनपद के कस्बे रुदौली में हुआ। मात्र 7 साल की उम्र में आपने कांग्रेस के लिए पहला नारा लगाया, जब स्व. बैजनाथ कुरील लोकसभा चुनाव के लिए पर्चा भरने आए। उनकी जीत ने आपको ऐसा उत्साह दिया जैसे कोई मनचाहा खिलौना मिल गया हो। आप घंटों नारे लगाते हुए इक्के के पीछे दौड़ते और बच्चों की भीड़ में शामिल होते। बाद में केंद्रीय मंत्री बनने पर वे आपके पिता मोहम्मद यूसुफ खान (जिन्हें इलाके में “नंबरदार” कहा जाता था) से मिलने आते, जिनका क्षेत्र में बड़ा रसूख था। आज भी गाँवों में बुजुर्ग आपको “नंबरदार भैया के बेटे” या “अच्छू बड़कू” कहकर सम्मान देते हैं।

1974 में NSUI के नगर अध्यक्ष के रूप में राजनीति शुरू की। 19 साल की उम्र में 1979 में इंदिरा गांधी के आह्वान पर जेल गए। जेल से लौटने पर NSUI जिला कमेटी में शहर अध्यक्ष बने, लेकिन एक महीने बाद त्यागपत्र दे दिया, क्योंकि आप ईमानदारी से समय नहीं दे पा रहे थे और पद आपके लिए “लॉलीपॉप” जैसा लगा। आपके पिता के रुतबे से लोगों का काम आसानी से हो जाता था, जिसकी खुशी आपको पद से ज्यादा प्रिय थी।1980 में स्व. जयराम वर्मा के लोकसभा चुनाव में आपने खूब मेहनत की। उनकी सादगी और मेहनत ने आपको प्रभावित किया, हालाँकि उनके कार्यकाल में कस्बे का विकास नहीं हुआ। फिर 1984 में निर्मल खत्री के साथ आपकी निकटता बढ़ी। उनकी साफगोई, मिलनसारी और फिल्मी हीरो जैसा अंदाज़ सब को भाया। खत्री समाज की संख्या न होने के बावजूद मुस्लिम समुदाय ने उन्हें खूब वोट दिए, और वे भारी बहुमत से सांसद बने। उनके कार्यकाल में रुदौली में विकास का दौर शुरू हुआ—नगर पालिका बनी, तहसील नजदीक आई, सड़कें बनीं, और ट्रेनों का ठहराव शुरू हुआ। यह आपके सपनों का साकार होना था।आपने निर्मल खत्री का साथ चुना और फैजाबाद को लखनऊ से ज्यादा तरजीह दी।

पत्रकारिता में आपने “विचार सूचक”, “नवभारत टाइम्स”, “जदीद मरकज”, और “अलइमान जदीद” जैसे प्रकाशनों में काम किया। मजदूर रिक्शा यूनियन और इक्का-तांगा कल्याण समिति के अध्यक्ष रहे। भ्रष्टाचार निवारण और सामाजिक संगठनों में भी सक्रिय भूमिका निभाई।अयाज़ खान “अच्छू” एक सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, जो कांग्रेस पार्टी से गहरे जुड़े हैं। अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सोशल मीडिया ने इन्हें श्री राज बब्बर के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश सोशल मीडिया का प्रभारी नियुक्त किया।

बाद में कांग्रेस सोशल मीडिया सेवादल ने इन्हें राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर नियुक्त कर नार्थ जोन के प्रदेशों का प्रभारी बनाया। लेकिन उनकी इच्छा उत्तर प्रदेश में ग्राउंड को मजबूत करने की थी। इसके लिए उन्होंने पदों से किनारा कर लिया और अपनी पुरानी सोशल मीडिया टीम के साथियों के साथ खुफिया तौर पर डेटा कलेक्ट करना शुरू किया। आज वे उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में न्याय पंचायत तक डेटा कलेक्ट कर ग्राम सभाओं और बूथ स्तर पर संगठन तैयार करने में अकेले जुटे हैं।लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत लड़ी गई 17 लोकसभाओं में आपने ब्लॉक स्तर तक सोशल मीडिया की चेन बनाई, जिसके माध्यम से घर बैठे सूचनाओं का आदान-प्रदान होता था और 17 लोकसभाओं पर निगरानी रखी जाती थी। जब इन 17 लोकसभाओं की कमेटी बनी, तो CLP लीडर श्रीमती आराधना मिश्रा ने राष्ट्रीय सचिव प्रभारी उत्तर प्रदेश श्री अविनाश पांडेय को आपके बारे में बताया। आपके समर्पण को देखते हुए श्री अविनाश पांडेय ने आपको विधि विभाग, वार रूम, सोशल मीडिया, और मीडिया विभाग के कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी, जो लोकसभा चुनाव के समापन तक रही।

“भारत जोड़ो यात्रा” में भी आपने न्याय योद्धा के रूप में हिस्सा लिया। आपका श्री राज बब्बर, गुलाम नबी आजाद, दिव्या स्पंदना (राम्या), और इमरान प्रतापगढ़ी जैसी शख्सियतों से सीधा संवाद रहा। गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने के बाद इमरान प्रतापगढ़ी के साथ आपकी नजदीकियाँ बढ़ीं। राष्ट्रीय चेयरमैन होने के बावजूद इमरान प्रतापगढ़ी के साथ आपका सीधा संवाद रहा। यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास, दीपक बावरिया, और महेश जोशी जैसे राष्ट्रीय नेताओं में आपके प्रति सम्मान देखा गया।
राजबब्बर जी के हटने के बाद नई टीम ने इन्हें किनारे कर दिया करोना काल में दो बड़े भाईयो और एक बड़ी बहन के स्वर्गवास होने और पार्टी के कार्यों से अलग रहने के कारण इनका संगठन और कार्यालय से मोह भंग हो गया और डिप्सेरेसहां की स्थित में यह भी अन्य समर्पित कार्यकर्ताओं की तरह घर बैठ गए लेकिन गठबंधन की सरकार में लोकसभा चुनाव पे पार्टी को इनके कामों का एहसास हुआ तो उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ नेता प्रशाशन प्रभारी और प्रदेश उपाध्यक्ष रहे डॉ आर पी त्रिपाठी ने प्रदेश में चुनाव संचालित कर रही सी एल पी लीडर श्रीमती आराधना मिश्रा मोना के समकक्ष इनके नाम का सुझाव रखा श्रीमती मोना जी ने तत्काल इन्हें बलवा कर गंभीरता से जरूरतों को साझा किया और 17 लोकसभाओं पे नेटवर्क का डेटा बनाने की जिम्मेदारी सौंपी।
इस तरह अयाज़ खान अच्छू की पुनः कार्यालय में वापसी हुई और धीरे धीरे इन्होंने अपने पुराने साथियों से संपर्क कर 17 लोकसभाओं पे टीम तैयार कर मोना जी और डॉ आर पी त्रिपाठी को सांप दी और उसका एक लिंक राष्ट्रीय प्रभारी श्री अविनाश पाण्डेय को संज्ञान में लेने हेतु whtsapp किया जिसने उनको इनके कार्यों के प्रति प्रभावित किया !
लोकसभा उपरोक्त डेटा को आपने “Notion” नामक ऐप में संचित किया है, जिसका पूरा ऐक्सेस राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खड़गे, श्री राहुल गांधी, श्रीमती प्रियंका गांधी, और श्री अविनाश पांडेय के मेल से अटैच है। उनके अलावा कोई दूसरा इसमें संशोधन नहीं कर सकता। हाँ, अगर कोई इनसे लिंक प्राप्त कर ले, तो वह इसे सिर्फ देख सकता है। इस तरह उत्तर प्रदेश के सक्रिय कार्यकर्ताओं का डेटा—जो किसी पद पर नहीं हैं, निष्क्रिय कार्यकर्ता जो खफा होकर घर बैठ गए पर कांग्रेस का दामन थामे हैं, और वर्तमान के सभी पदाधिकारियों की जानकारी—सीधे राष्ट्रीय नेतृत्व के पास उपलब्ध है, जिसे समय-समय पर अपडेट किया जाता है।