उत्तर प्रदेश

डीएम जे रीभा की मंशा क्या होगी पूरी?कठिन डगर है पनघट की!


संवाद।। विनोद मिश्रा


बाँदा। डीएम जे रीभा की गांवों की सफाई व्यवस्था की मंशा क्या परवान चढ़ पायेगी?संशय है। “कठिन डगर पनघट” की है! क्योंकि “टाप टू बाटम” सभी जिम्मेदार “कर्तव्य विमुख प्रिय” अधिकारी हैं। स्वच्छता समिति अपने कर्तव्यों के प्रति विमुख है ,इसकी “ओवर हालिंग की जरूरत”है।


डीएम जी रीभा नें जिला स्वच्छता समिति की बैठक में मंशा जाहिर किया की शहरों की भांति गाॅवों को भी साफ सुथरा बनाया जायें।उन्होंने माॅडल गाॅवों में प्रधान एवं सचिव के सहयोग से लोगों को जागरूक कर कूडे का उचित निस्तारण करने हेतु सूखे एवं गीले कूडे अलग-अलग रखे जाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिये।


डीएम साहिबा को हम बता दें की बांदा की लगभग 90 प्रतिशत ग्राम पंचायतें नर्क के रूप में हैं। चहुँ ओर गंदगी का अंबार मिलेगा। रास्ते एवं नालियां नर्क की स्थितियों को बयां करती हैं। ग्राम पंचायतों में नियुक्त सफाई कर्मचारी झाडू नहीं लगते। अपना कार्य ठेके पर दिये हुए हैं। ठेका कर्मी यदा कदा सफाई करते हैं। इसमें प्रधानों एवं सचिवों की भी मिली भगत रहती है।


इन विपरीत परिस्थितयों में “डीएम साहिबा” की “गांवों को स्वच्छ बनाने की मंशा आसमां से तारे तोड़ने” जैसा है! वह अपनी मंशा में कामयाब हों इसके लिये व्यापक स्तर पर फील्ड वर्क करने की जरूरत होगी।”रब्बा खैर” करे।