नई दिल्ली। सपा सांसद रामजीलाल सुमन ने जारी पत्र में कहा है कि मेरे द्वारा दिनांक 21.03.2025 को राज्यसभा में इतिहास के सन्दर्भ में दिये गये वक्तव्य की पृष्ठभूमि यह थी कि हमें इतिहास के गडे मुद्दों को पुनजीर्वित नहीं करना चाहिए। मेरे द्वारा वक्तव्य की मूल भावना के विपरीत अनेक विवाद उत्पन्न किए जा रहे हैं।
मेरा पूरा राजनीतिक जीवन समाजवादी विचारधारा के मल्यों के प्रति समर्पित रहा है। मेरे संसदीय क्षेत्र फिरोजाबाद, आगरा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कोई भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि मैंने कभी भी जाति एवं धर्म की राजनीति की हो, या इन आधारों पर किसी की सहायता न की हो, या संघर्षो में साथ न दिया हो, मेरे संस्कारों को सभी लोग मेरे कृत्य से जानते हैं।
मेरा यह मानना है कि हमें इतिहास से सीख लेकर एक न्यायसंगत समाज के निर्माण की दिशा में मिलकर कार्य करना चाहिए न कि समाज में वैमनस्यता पैदा करनी चाहिए और यही मेरे बयान की मूलभावना थी। हमें भूतकाल की घटनाओं को आज के सामाजिक व्यवहार का आधार नहीं बनाना चाहिए। मेरा मत है कि राष्ट्र निर्माण में सभी जाति, धर्म एवं क्षेत्र के लोगों का भरपूर योगदान रहा है। राजपूत समाज के गौरव की अनेक गाथाए हैं और सामाजिक संरचना में उनका योगदान उल्लेखनीय है। समाज में सौहाद्र एवं भाईचारा बनाये रखने में मेरी पूर्ण निष्ठा है।
उपरोक्त अभिप्राय के विपरीत मेरे बयान से समाज के कुछ वर्गों की भावनाएं आहत हुई हैं, यह दुःखद है कि मेरे वक्तव्य का लोगों में इस प्रकार का संदेश गया, जबकि मेरा कोई इरादा लोगों की भावनाओं के विरूद्ध आचरण करने का नहीं था. मुझे इसकी पीडा है। मैं सभी जाति वर्गों एवं सम्प्रदायों का पूर्ण सम्मान करता हूँ