आगरा | मस्जिद नहर वाली के इमाम मुहम्मद इक़बाल ने जुमा के ख़ुत्बे में लोगों से ख़िताब करते हुए कहा कि जिस तरह हम लोगों ने रमज़ान में अल्लाह के हुक्मों का पालन किया है, नमाज़ों की पाबंदी, क़ुरआन की तिलावत, लोगों के साथ हमदर्दी, एक अच्छे इंसान की तरह अपनी ज़िंदगी गुज़ारने की कोशिश की है, अब रमज़ान के बाद भी इस प्रैक्टिस को क़ायम रखें। कहीं ऐसा न हो कि रमज़ान के बाद फिर से वही पहले वाली ज़िंदगी की तरफ लौट जाएं। अगर ऐसा किया तो समझ लो कि रमज़ान से हमने कुछ हासिल नहीं किया। ये ख़ास बरकत वाला महीना हमने बर्बाद कर दिया। अल्लाह के बंदो! जो नमाज़ रमज़ान में फ़र्ज़ थी, वो रमज़ान के बाद भी उसी तरह फ़र्ज़ है। वही क़ुरआन जो अल्लाह की तरफ़ से नाज़िल किया गया है, वो क़यामत तक के लिए है, सिर्फ़ रमज़ान में तिलावत के लिए नहीं। अगर हम रमज़ान के बाद भी रमज़ान वाली ज़िंदगी गुज़ारते हैं, तो समझो कि हमने रमज़ान से सबक हासिल किया और हमारी इबादत अल्लाह ने क़ुबूल कर ली। वर्ना ये रमज़ान भी बाकी महीनों की तरह हमारी ज़िंदगी में आया और हमने अपनी लापरवाही में इसे भी एक रस्म की तरह गुज़ार दिया। ये भी याद रखें कि जिन लोगों के इस रमज़ान में बीमारी, सफ़र या किसी भी मजबूरी की वजह से जो रोज़े छूट गए हैं, वो उन रोज़ों को ईद के बाद पूरा करने की कोशिश करें। इसमें लापरवाही न करें। वो गिनती आपको पूरी करनी है। सही मुस्लिम की हदीस नंबर 2758 में अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया, “जिसने रमज़ान के रोज़े रखे, फिर शव्वाल के छह रोज़े रखे तो ये पूरे साल रोज़े रखने की तरह है।” कितनी बड़ी बात है, सिर्फ़ छह रोज़े रखकर पूरे साल रोज़े रखने का सवाब मिल रहा है। इसकी भी कोशिश करें। अल्लाह हम सब को ज़्यादा से ज़्यादा नेक अमल की तौफ़ीक़ से नवाज़े। आमीन।
रमज़ान के बाद रमज़ान वाली ज़िंदगी गुज़ारने की कोशिश करें : मुहम्मद इक़बाल
