नई दिल्ली। योगी आदित्यनाथ सरकार के बुलडोजर के आगे सुप्रीम कोर्ट स्पीड ब्रोकर बन कर खड़ा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज नगर निगम को निर्देश दिया कि वह उन सभी याचिकाकर्ताओं को 10 लाख रुपए का मुआवज़ा दे, जिनका घर 2021 में इस झूठे आधार पर ध्वस्त कर दिया गया था कि वह भूखंड दिवंगत गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद का है। प्रयागराज नगर निगम अधिकारियों को उनकी असंवेदनशीलता के लिए आड़े हाथों लेते हुए,
शीर्ष अदालत ने कहा कि ये मामले हमारी अंतरात्मा को झकझोर देते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार को मुआवज़ा देने का आदेश दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अमानवीय और अवैध तरीके से तोड़फोड़ की गई। कोर्ट ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, जहां अवैध तोड़फोड़ की गई और इसमें शामिल लोगों के पास निर्माण करने की क्षमता नहीं है। अदालत ने कहा कि विध्वंस का कार्य न केवल अवैध था, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार आश्रय का अधिकार, जो जीवन के अधिकार के अंतर्गत आता है, का भी उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आवासीय परिसर/भवनों को बेरहमी से ध्वस्त कर दिया गया है। इस प्रकार, अदालत ने राज्य सरकार को सभी अपीलकर्ताओं – एक वकील, एक प्रोफेसर और दो महिलाओं को 10-10 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया, जिनके आवासीय ढांचे, प्रयागराज के लूकरगंज में एक परिसर में स्थित थे, जिन्हें 2021 में ध्वस्त कर दिया गया था।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना मकान ढहाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी। पीठ ने जिस तरह से मकान ढहाए गए, उसकी आलोचना की – नोटिस देने के बमुश्किल 24 घंटे बाद जिससे कार्यकारी निर्णय को अपील या चुनौती देने का कोई समय नहीं मिला।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, 6 मार्च को उन्हें ध्वस्त करने का आदेश दिए जाने के बाद 7 मार्च, 2021 को उनके मकान ढहा दिए गए – जिससे उन्हें कार्यकारी अधिकार के उल्लंघन का विरोध करने के लिए अपीलीय निकाय में जाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला।