वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर संसद में काफी हलचल मची हुई है। इस बिल को लोकसभा और राज्यसभा में पास कराने की प्रक्रिया क्या होगी और क्या यह विपक्ष के विरोध के बावजूद पारित हो सकता है? इसके अलावा, इस विधेयक में वक्फ बोर्ड से जुड़े कौन-कौन से बड़े बदलाव प्रस्तावित हैं? आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
लोकसभा में वक्फ बिल पास कराने की प्रक्रिया
विधेयक को पारित करने के लिए सबसे पहले इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा।
18वीं लोकसभा में कुल 542 सांसद हैं।
बीजेपी के पास 240 सांसद हैं, जबकि NDA गठबंधन के पास कुल 293 सांसद हैं।
राज्यसभा में कुल 236 सदस्य हैं।
बीजेपी के पास 98 सांसद हैं और NDA गठबंधन के पास 115 सदस्य हैं।
इसके अलावा, 6 मनोनीत सदस्य भी NDA को समर्थन दे सकते हैं, जिससे कुल संख्या 121 तक पहुँच सकती है।
राज्यसभा में किसी विधेयक को पारित कराने के लिए 119 वोटों की जरूरत होती है।
यदि NDA को अन्य दलों का समर्थन नहीं मिलता है, तो यह बिल राज्यसभा में अटक सकता है।
विपक्ष का रुख और चुनौतियाँ
विपक्षी दल वक्फ बिल का विरोध कर रहे हैं और इसे संविधान विरोधी बता रहे हैं।
कांग्रेस, टीएमसी, AAP, और अन्य क्षेत्रीय दल इस बिल के खिलाफ एकजुट हो चुके हैं।
अगर सभी विपक्षी दल सदन में मतदान के दौरान एकजुट रहते हैं, तो यह बिल पास कराना सरकार के लिए मुश्किल हो सकता है।
हालांकि, सरकार के पास विधेयक को संयुक्त सत्र में पेश करने का विकल्प भी मौजूद है।
वक्फ बोर्ड में प्रस्तावित 4 बड़े बदलाव
इस संशोधन विधेयक में वक्फ बोर्ड के कामकाज में बड़े बदलाव प्रस्तावित हैं:
- नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव: वक्फ बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया जाएगा।
- वित्तीय पारदर्शिता: वक्फ संपत्तियों से जुड़ी वित्तीय गड़बड़ियों को रोकने के लिए सख्त प्रावधान किए जाएंगे।
- संपत्ति प्रबंधन: वक्फ संपत्तियों के सही उपयोग और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाएगा।
- कानूनी अधिकार: वक्फ बोर्ड को अधिक कानूनी अधिकार दिए जा सकते हैं ताकि वह अपनी संपत्तियों की रक्षा कर सके।
वक्फ संशोधन विधेयक को संसद में पास कराने के लिए सरकार को लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत साबित करना होगा। हालांकि, NDA के पास लोकसभा में पर्याप्त संख्या है, लेकिन राज्यसभा में चुनौती बनी हुई है।
विपक्ष के विरोध के बावजूद, अगर सरकार अपने सहयोगी दलों को एकजुट रखने में सफल रहती है, तो यह बिल पास हो सकता है। अब देखना होगा कि सरकार इस विधेयक को सफलतापूर्वक पारित कराने के लिए कौन-कौन से रणनीतिक कदम उठाती है।