कानपुर। जेपी एसोसिएट ग्रुप की ओर से संचालित कानपुर फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स लिमिटेड (केएफसीएल) को प्रबंधन ने बंद करने का निर्णय लिया है। एक अप्रैल से सब्सिडी के लिए केंद्र सरकार की ओर से पर्याप्त एनर्जी मानक के आदेश न आने पर प्रबंधन ने यह निर्णय किया है। पिछले साल दिसंबर में पनकी स्थित प्लांट में गेल से गैस आपूर्ति ठप होने और सब्सिडी रुकने से 18 दिसंबर से उत्पादन बंद हो गया था। प्लांट के बंद होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सात हजार लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट हो गया है। और उनकी आँखों के सामने अँधेरा सा छा गया है।
दरअसल केएफसीएल में पहले चांद छाप और अब भारत छाप यूरिया नाम से खाद का उत्पादन किया जाता है। प्रतिदिन 2100 मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन होता रहा है। कंपनी के निदेशक मेजर जनरल विनोद कुमार ने बताया कि पिछले साल 18 दिसंबर को गेल ने बकाया के कारण गैस की आपूर्ति बंद कर दी थी। केएफसीएल प्रबंधन ने बाजार में उपलब्ध यूरिया की बिक्री और सरकार से मिलने वाली सब्सिडी से बकाया राशि का भुगतान करने का आश्वासन गेल को दिया।
चेयरमैन ने बताया कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर यूरिया उत्पादन जारी रखा था। चार महीने की विषम परिस्थितियों, एक अप्रैल 2025 से पर्याप्त सब्सिडी के एनर्जी मानक के आदेश की अनुपस्थिति में प्लांट का उत्पादन बंद करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं दिखता। 12 साल पूर्व बंद प्लांट होने के बाद भी कर्मचारियों का भुगतान किया गया था। सभी कर्मचारियों को पूर्ण देय राशि का शीध्र भुगतान किया जाएगा। एटक के सचिव असित कुमार सिंह का कहना है अचानक बंदी करना श्रम कानूनों का उल्लंघन है। बंदी की सूचना श्रम विभाग तक को नहीं दी गई। प्लांट में एक हजार से ज्यादा तकनीशियन, इंजीनियर को हटाया जा चुका है। 1300-1400 कर्मचारी ही बचे थे। उनके सामने भी रोजी-रोटी का संकट हो गया है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सात हजार से ज्यादा लोगों के सामने परेशानी आ गई है।