देश विदेश

जानिए जाफ़ा दरवाजे को

हजरत उमर बिन अल खत्ताब (रजि.) की फ़ौज के सामने बैतुल मुक़द्दस के ईसाईयों ने इस शर्त पर हथियार डाला की वो शहर की कुंजियाँ खलीफा के हवाले ही करेंगे, लिहाजा खलीफा ए इस्लाम के कमांडरों ने उन्हें खत लिख कर बैतुल मुक़द्दस आने की गुजारिश की, ये जो दरवाजा आप देख रहे हैं ये वही तारीख़ी दरवाजा है जिससे हजरत उमर बिन अल खत्ताब (रजि.) बैतुल मुक़द्दस में बेहद सादगी के साथ दाखिल हुए थे। इसे जाफ़ा दरवाजे के नाम से जाना जाता है, ये पुराने चारदीवारी वाले शहर के सात दरवाजों में से एक है। 1538 में 10वें उस्मानी सुल्तान सुलेमान आलीशान ने इसकी मरम्मत करवाई थी।