नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी की। इस दौरान एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद सहित कई याचिकाकर्ता सीजेआई के न्यायालय कक्ष में उपस्थित रहे।
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इस मामले में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया गया। प्रतिवादियों के अनुरोध के बाद, कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को दोपहर 2 बजे तय की है।
केंद्र के वक्फ कानून संशोधन पर हिंसा का मुद्दा उठाया गया:
वक्फ कानून में हाल ही में किए गए संशोधन के खिलाफ कुछ स्थानों पर विरोध-प्रदर्शन हुए हैं, जिनमें कई हिंसक घटनाएं भी घटीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई और कहा कि यह स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। सीजेआई ने कहा, “हिंसा का मुद्दा हमारे सामने है और हम इस पर उचित निर्णय लेंगे।”
वक्फ संपत्तियों पर उठाए गए सवाल:
सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ संपत्तियों से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र से तीखे सवाल किए। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि वक्फ बाय यूजर का पंजीकरण कैसे किया जाएगा, खासकर जब दस्तावेजों की उपलब्धता की समस्या हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि वक्फ बाय यूजर को रद्द किया जाता है तो यह नई समस्याएं पैदा कर सकता है, और इसके दुरुपयोग का भी खतरा है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि 100 साल पहले के इतिहास को फिर से लिखा नहीं जा सकता। सीजेआई संजीव खन्ना ने तुषार मेहता से कहा, “जहां पब्लिक ट्रस्ट को वक्फ घोषित किया गया है, मान लीजिए 100 या 200 साल पहले, क्या अब इसे पलटकर वक्फ बोर्ड के हाथों में देना उचित होगा?”
अगली सुनवाई पर नजरें:
सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे जल्दी सुलझाने का संकेत दिया है। अब कोर्ट की अगली सुनवाई पर सभी की निगाहें हैं, क्योंकि यह वक्फ संपत्तियों से जुड़े कानूनों और उनके प्रबंधन के भविष्य को तय करेगा।