नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए प्रशासन ने सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब किसी भी प्रकार के आयोजन, जैसे धार्मिक कार्यक्रम, विवाह समारोह, या जनसभाओं में लाउडस्पीकर के उपयोग से पहले पुलिस से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। नियमों का उल्लंघन करने पर अधिकतम एक लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
प्रशासन का कहना है कि यह कदम खास तौर पर आवासीय और शांत क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
मुख्य नियम इस प्रकार हैं:
अनुमति आवश्यक: किसी भी सार्वजनिक या निजी कार्यक्रम में लाउडस्पीकर चलाने से पहले पुलिस की अनुमति लेना जरूरी है।
ध्वनि की सीमा:
आवासीय क्षेत्र: दिन में 55 डेसिबल, रात में 45 डेसिबल
शांत क्षेत्र (अस्पताल, स्कूल, अदालत आदि): दिन में 50 डेसिबल, रात में 40 डेसिबल
औद्योगिक क्षेत्र: दिन में 75 डेसिबल, रात में 70 डेसिबल
समय सीमा: दिन का समय सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक और रात का समय रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक माना जाएगा।
जुर्माने का प्रावधान:
बिना अनुमति लाउडस्पीकर चलाने पर 10,000 रुपये जुर्माना और उपकरण जब्त किया जाएगा।
बड़े जनरेटर (1000 केवीए से ऊपर) पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना तय किया गया है। छोटे जनरेटरों पर 10,000 से 25,000 रुपये तक जुर्माना हो सकता है।
शोर करने वाली मशीनों के मामले में 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
निर्धारित समय सीमा के बाहर पटाखे जलाने पर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
धार्मिक या सामाजिक आयोजनों में नियमों का उल्लंघन होने पर क्षेत्र के अनुसार जुर्माना –
आवासीय क्षेत्र में 10,000 रुपये
शांत क्षेत्रों में 20,000 रुपये तक
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इन नियमों का उद्देश्य किसी धार्मिक या सांस्कृतिक गतिविधि को रोकना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि समाज के संवेदनशील वर्ग – जैसे छात्र, मरीज और बुजुर्ग – अनावश्यक शोरगुल से प्रभावित न हों।