नई दिल्ली। राज्यों के विधेयकों पर समयबद्ध निर्णय को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देश पर देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिसमें न्यायपालिका राष्ट्रपति को कोई निर्देश दे सकती है।
राज्यसभा सचिवालय द्वारा आयोजित छठे बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा, “अगर जज ही कानून बनाएंगे, कार्यपालिका के काम करेंगे और संसद से ऊपर हो जाएंगे, तो फिर जवाबदेही कहां रहेगी?”
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह टिप्पणी की थी कि राज्यों से राष्ट्रपति को भेजे गए विधेयकों पर तीन महीने के भीतर निर्णय लिया जाना चाहिए, ताकि कानून प्रक्रिया में अनावश्यक देरी न हो। यह मुद्दा उस समय सामने आया जब कुछ राज्यों ने शिकायत की कि उनके विधेयक महीनों तक राष्ट्रपति की मंजूरी के इंतजार में लंबित पड़े हैं।
धनखड़ ने इसे संवैधानिक संस्थाओं की लक्ष्मण रेखा से जोड़ते हुए कहा कि “लोकतंत्र तभी टिकाऊ होता है जब विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका अपनी-अपनी सीमाओं में काम करें।”
इस टिप्पणी ने संवैधानिक चर्चा को एक बार फिर हवा दे दी है, जिसमें यह सवाल उठ रहा है कि न्यायपालिका की सक्रियता और कार्यपालिका की जवाबदेही के बीच संतुलन कैसे कायम रखा जाए।
इस विषय पर अभी तक सुप्रीम कोर्ट या केंद्र सरकार की ओर से कोई प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह बहस आगामी दिनों में और व्यापक हो सकती है।