इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिविल सोसायटी ऑफ आगरा द्वारा दायर रिव्यू एप्लीकेशन (Review Application No.3 of 2020) का निस्तारण करते हुए याचिका पर पूर्व में लगाई गई ₹75,000 की लागत माफ कर दी है। यह राशि वर्ष 2019 में दायर जनहित याचिका (PIL No. 2422 of 2019) पर दिए गए आदेश के तहत लगाई गई थी।
याचिका की औचित्यहीनता पर दी दलील
सोसायटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अकलंक कुमार जैन ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए बताया कि चूंकि अब नया सिविल एन्क्लेव एयरफोर्स स्टेशन से बाहर स्थापित किए जाने की दिशा में कार्य प्रगति पर है, इसलिए मूल याचिका पर सुनवाई का औचित्य अब नहीं बचा है। इसके साथ ही उन्होंने लागत माफ किए जाने की अपील की, जिसे माननीय न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने स्वीकार कर लिया।
जनहित और सामाजिक प्रयासों को दी मान्यता
श्री जैन ने कोर्ट को बताया कि सिविल सोसायटी ऑफ आगरा एक सक्रिय सामाजिक संगठन है और इस याचिका का उद्देश्य केवल एक अकादमिक बहस नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर जनहित को बढ़ावा देना था। यदि कोर्ट द्वारा लगाए गए आर्थिक दंड की पूर्ति संगठन को करनी पड़ती, तो यह उसके लिए अपूरणीय क्षति होती।
परियोजना की पृष्ठभूमि और प्रगति
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने 2016 से इस मुद्दे को प्राथमिकता दी। उल्लेखनीय है कि 2012 में ही सैद्धांतिक रूप से तय किया गया था कि सिविल एन्क्लेव को एयरफोर्स परिसर से बाहर स्थानांतरित किया जाएगा और इसके लिए धनौली ग्राम सभा की भूमि चिन्हित भी की गई थी। लंबे समय तक प्रोजेक्ट रुका रहा, लेकिन सोसायटी की सक्रियता से अब इसका कार्य निर्माणाधीन है और 2026 से पहले इसके सुचारू रूप से प्रारंभ होने की संभावना है।
समर्थन की अपील
सोसायटी के सचिव श्री अनिल शर्मा ने कहा कि यदि यह याचिका न दायर की गई होती, तो प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेता। उन्होंने आगरा के उद्यमियों और पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों से इस प्रोजेक्ट को लेकर जागरूक और सजग रहने का आग्रह किया।
सुनवाई में उपस्थित अधिवक्ता
17 अप्रैल 2025 को हुई सुनवाई में एयरपोर्ट अथॉरिटी, उत्तर प्रदेश सरकार एवं अन्य पक्षकारों की ओर से प्रांजल मेहरोत्रा, मनोज कुमार सिन्हा एवं मिथिलेश चंद्र त्रिपाठी अधिवक्ता उपस्थित थे।