उत्तर प्रदेश

यादगार लम्हे सिने अभिनेता राजीव खंडेलवाल के संग, से शुभारंभ हुआ स्पाइसी शुगर संस्था के सीजन 6

कहीं तो होगा के सुजल से लेकर द सिक्रेट आफ शिलेदार तक के किरदारों पर अभिनेता के साथ संस्थापक पूनम सचदेवा ने की चर्चा 


बॉलीवुड के संघर्ष और अनुभव साझा करते हुए राजीव खंडेलवाल ने खाेले बहुत से फिल्मी दुनिया के राज, बोले कास्टिंग काउच गंभीर समस्या 


विगत पांच वर्षाें से बुद्धिमत्ता के साथ मनोरंजन साथ लेकर चल रही है संस्था, संस्थापक पूनम सचदेवा ने वार्षिक प्लान बताकर सदस्यों को किया उत्साहित 

आगरा। लंबा कद और चमकीली आंखाें वाले सिने अभिनेता राजीव खंडेलवाल ने अपने व्यक्तिगत और फिल्मी करियर से जुड़े सुने− अनसुने किस्से बेबाकी से ताजनगरी में साझा किये। इतना ही नहीं अपने यादगार धारावाहिक कहीं तो होगा का टाइटल गीत भी सुनाया।


मौका था बुद्धिमत्ता और मनोरंजन के लिए गठित संस्था स्पाइसी शुगर के सीजन 6 के शुभारंभ का। शनिवार को होटल होलीडे इन में सीजन 6 का शुभारंभ समारोह “यादगार लम्हें राजीव खंडेलवाल के साथ” का आयोजित हुआ। सिने अभिनेता राजीव खंडेलवाल और संस्थापक पूनम सचदेवा ने दीप प्रज्जवलित कर समारोह का शुभारंभ किया। सभी का स्वागत पावनी सचदेवा ने किया।
पूनम सचदेवा ने बताया कि विगत पांच वर्षाें से बुद्धिमत्ता और मनोरंजन से भरपूर आयोजन संस्था द्वारा आयोजित किये जा रहे हैं। शहर की 150 से अधिक बुद्धिजीवी महिलाएं संस्था से जुड़ी हैं। 
विषय परिवर्तन करते हुए पूनम सचदेवा ने सिने अभिनेता राजीव खंडेलवाल को साक्षात्कार राउंड के लिए आमंत्रित किया। जिसमें उन्होंने अभिनेता से व्यक्तिगत और करियर से जुड़े प्रश्न किये। 
कार्यक्रम में जैसे ही राजीव खंडेलवाल ने आगरा के लोगों को उनके प्यार के लिए धन्यवाद देना चाहा तो स्वागत में उपस्थित महिलाओं ने सुजल सुजल की ध्वनि से उनका स्वागत किया। पूनम सचदेवा ने जब उनके बचपन के अनुभव और यादों के बारे में प्रश्न किया तो उन्होंने बताया कि वह पढ़ाई में सामान्य छात्र ही थे। क्लास की 10 टॉप बच्चों में रहते थे। खास बात यह थी कि उनके दोस्तों की संख्या में लड़कियों की संख्या सबसे ज्यादा होती थी। उन्होंने बताया कि कुछ अलग करने की चाहत हमेशा से रहती थी। कई बार अलग दिखने की ललक के कारण वह वाश बेसिन में लगने वाली चैन को भी एसेसरीज के रूप में पहनकर ही पार्टी में चले जाते थे। पूनम सचदेवा ने पूछा की बहुत कम उम्र में उन्होंने प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भी पुरस्कार प्राप्त किया था उसके बारे में विस्तार से बताते हुए राजीव खंडेलवाल ने कहा कि बहुत छोटी उम्र में ही लिखने का शौक मेरे अंदर पनपने लगा था। भावनाओं को लेकर लिखने की कला अपने आप विकसित हो रही थी तो बहुत छोटी ही क्लास में था तो केंद्रीय विद्यालय में पढ़ते हुए एक निबंध प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिला, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे स्थान पर रहा। पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मिला। जब पुरस्कार लेने जा रहा था तो मन में बहुत अधिक नर्वस था लेकिन उस पुरस्कार ने मुझे आगे कुछ नया और बेहतरीन करने की प्रेरणा दी।

हर सफलता देती है प्रेरणा कुछ नया करने की
अभिनेता राजीव खंडेलवाल ने बताया कि उनके पिता आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल थे। अनुशासन बचपन से ही मिला लेकिन अपनी अलग पहचान बनाने की ललक उन्हें पहले दिल्ली ले गई, जहां तमाम ऑडिशन भी दिए और दो वर्ष तक डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाई। इसके बाद जब जेब खाली हो गई तो मुंबई का रुख किया। इससे पूर्व पंजाब में नंदू का चिराग नाम से एक सीरियल किया।

इसलिए छोड़ा था सुजल का किरदार अभिनेता ने सवालों की इस लड़ी में अभिनेता ने अपने जवाबों के तरकश भी बड़े साध कर बांधे हुए थे। पूनम सचदेवा ने जब पूछा कि करियर के मुकाम पर पहुंच कर जिस धारावाहिक में उन्हें रातों-रात सितारा बना दिया था उस धारावाहिक के किरदार सुजल को उन्होंने एक पल में क्यों छोड़ दिया था। इस पर राजीव ने कहा की सुजल का किरदार बढ़ रहा था । अभिनय की ऊंचाइयां छूने नहीं दे रहा था। सुजल के किरदार ने उन्हें लोगों का असीम प्यार दिया जो आज तक मिल रहा है लेकिन उन्हें अभिनेता के तौर पर विस्तार चाहिए था इसलिए उन्होंने उस किरदार को छोड़ा था। हालांकि शो की निर्माता शोभा कपूर ने उन्हें शो न छोड़ने के बदले दोगुनी रकम देने की बात कही थी लेकिन उन्होंने कहा कि आप मेरी फीस आधी कर दीजिए लेकिन मुझे कहानी बताइए।

सच का सामना शो के दौरान रो जाते थे कई बार कार्यक्रम में जब सच का सामना शो क्या कहानी पर आधारित होता था यह सवाल कविता अग्रवाल ने पूछा तो उन्होंने बताया कि सच का सामना शो कभी भी स्क्रिप्ट पर आधारित नहीं था। उसके प्रश्न तुरंत बनते थे। कई बार ऐसा होता था कि लोग जब उसके जवाब देते थे तो राजीव की आंखों में भी आंसू आ जाते थे।

बॉलीवुड में संघर्ष और अनुभव
राजीव खंडेलवाल ने अपने करियर की शुरुआत टीवी से की और बाद में फिल्मों में कदम रखा। उन्होंने बताया कि फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज़्म और फेवरिटिज़्म जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में नई प्रतिभाओं को अवसर देने में हिचकिचाहट होती है, जिससे क्रिएटिविटी पर असर पड़ता है।

कास्टिंग काउच पर खुलकर बात
राजीव खंडेलवाल ने अपने करियर की शुरुआत में एक प्रसिद्ध निर्देशक द्वारा कास्टिंग काउच का सामना करने का अनुभव साझा किया। कहा कि जब प्रतिभा होती है तब भी फिल्म इंडस्ट्री से लेकर आप किसी भी क्षेत्र में चले जाएं कास्टिंग काउच का सामना करना ही पड़ता है। उस वक्त आपका आत्मविश्वास और खुद पर भरोसा ही आपको उन परिस्थितियों से निकाल सकता है।

इन्होंने पूछे अभिनेता से सवाल
कार्यक्रम में संस्था के सदस्यों ने अपने-अपने प्रश्नों के तीर भी छोड़े, जिसमें प्रमुख रूप से कोमिला धर, रेनू लांबा , रोली सिन्हा, अंजलि, शिल्पा कत्याल, शिखा जैन, कविता अग्रवाल, निधि लाल आदि ने प्रश्न पूछे। चांदनी ग्रोवर ने अभिनेता के साथ आंखों की गुस्ताखियां मनोरंजन खेल भी खेला।

ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम में अंशुल, अर्चना, अक्षिता, बुलबुल, डॉली, एकता, गरिमा, हरबानी, जया, ज्योति, कृतिका, माला, मीना, मिनी, पूजा लूथरा, पूनम, प्रीति, पुष्पा, रचना, रानी, रुचि, साधना, शिल्पा, सिमरन आदि उपस्थित रहीं।